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गोपालगंज।पहले बेटे,दो बार माँ भी आयी कालाजार की चपेट में.अब चैंपियन बनकर फैला रही है जागरूकता।

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सुनामी एक्सप्रेस
ब्यूरो चीफ प्रदीप शर्मा गोपालगंज

गोपालगंज,20 जनवरी । बसंती देवी, गोपालगंज जिले के बरौली प्रखण्ड के रूपनछाप मुशहर टोला की रहने वाली है। उम्र 45 वर्ष है। मार्च 2019 में पहली बार कालाजार बीमारी से ग्रसित हुई। तब इनका इलाज़ आशा के सहयोग से गोपालगंज सदर अस्पताल में हुआ था। दुबारा जून 2020 में ये फिर से कालाजार से ग्रसित हुई । फिर दूसरी बार इलाज केएमआरसी मुजफ्फरपुर के द्वारा कराया गया । इससे पहले बसंती देवी के बेटा विजेंद्र कुमार उम्र-14 वर्ष को जनवरी 2019 में कालाजार बीमारी हुई थी । उसके बाद बसंती देवी को हुआ । ये आसपास के गाँव की खेतों में काम कर अपना गुजारा करती हैं । इनके पास अपनी जमीन और घर नहीं है। सरकारी जमीन में झोपड़ी में रहती हैं । इस टोला में 300 से अधिक की आबादी है। बसंती देवी का घर झुग्गी झोपड़ी का है । इनके पूरे टोले में कालाजार मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। 2019में 16 कालाजार रोगी, 2020 में 8 तथा 2021 में 4 और 2022 में 2 वीएल तथा एक पीकेडीएल रोगी है । इन रोगियों में सबसे ज्यादा 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं ।

इलाज का नहीं था पैसा, आशा बनी सहारा:
बसंती देवी बताती हैं कि मैं जब बीमार पड़ी तो मुझे लगा कि अब ठीक नहीं हो पाऊँगी। ,मेरा बुखार टूट नहीं रहा था। पूरा शरीर काला पड़ गया था। मैं खड़ी नहीं हो पाती थी। जब भी खड़ी होती चक्कर आ जाता था। हमारे पास खाने को पैसा नहीं होता है। मैं अपना इलाज़ कैसे करती। बहुत चिंतित थी। दवा दुकान से मेरे पति बुखार की दवा लाकर दे दिया करते थे। मैं रोज सोचती थी कि कल शायद मेरा बुखार उतार जाएगा तो मै धीरे धीरे ठीक हो जाऊँगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फिर हमारी आशा गृह भ्रमण में आई हुई थी तो उनसे मेरे पति ने कहा। फिर आशा के सहयोग से मैं सदर अस्पताल पहुंची और मेरा इलाज़ हुआ ।

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हर घर में था कालाजार का मरीज:

एक ऐसा समय था कि रूपनछाप गांव में लगभग हर घर से कोई न कोई कालाजार बीमारी से ग्रसित था। तब यहां के लोगों में जागरूकता का अभाव था। जिस कारण छिड्कव कर्मी आते थे तो लोग पूरे घर में छिडकाव नहीं करा पाते थे। लेकिन अब बसंती देवी खुद सभी लोगों के घर छिडकाव कर्मी के साथ छिडकाव करवाती हैं । ताकि अब हमारे टोले में कोई बीमार न हो । अब घर घर जाकर मेंकालाजार के विषय पर बात करती हैं । , ताकि बीमारी के लक्षण आने पर लोग जांच करायें। बीमारी बहुत जानलेवा होती है। मै भुक्तभोगी रही हूँ । अतः मैं नहीं चाहती कि किसी और को भी ये बीमारी हो ।

कालाजार के मरीज मिलने पर अस्पताल तक ले जाती हैं बसंती देवी:

बसंती देवी ने बताया कि मेरे टोले में किसी को भी दो हफ्ते से ज्यादा का बुखार होता है तो मैं आशा को सूचना देती हूं। अगर आशा नहीं आ पाती तो मैं लेकर पीएचसी जाती हूं, ताकि समय पर इलाज़ हो सके । मैं अपना पेशेंट सपोर्ट समूह भी बनाई हूं। जिसमें हम 11 सदस्य हैं । मैं सबको समूह में इकट्ठा करती तथा कालाजार की बीमारी से उबरने हेतु विषय पर चर्चा करते हैं । साथ ही पीकेडीएल के विषय पर भी चर्चा करते हैं ।

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