बिहार में शराब पीने-पिलाने वालों के लिए बुरी खबर, ड्रोन की तस्वीरें कोर्ट में पैदा कर देंगी मुश्किलें
पटना: मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग शराब की निगरानी के साथ ड्रोन कैमरे की तस्वीरों का इस्तेमाल कोर्ट ट्रायल के दौरान साक्ष्य के तौर पर भी करेगा। ड्रोन कैमरे में लगे जीपीएस लोकेशन के कारण तस्वीरें व वीडियो इसका आधार बनेंगी। यही कारण है कि विभाग ने पटना में सफल ट्रायल के बाद अब ड्रोन कैमरों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, अवैध शराब के निर्माण एवं व्यापार की निगरानी को लेकर हर जिले में ड्रोन से गश्ती की जाएगी। इसमें दियारा, पहाड़ी व जंगली इलाके प्राथमिकता में होंगे। दिन और रात दोनों समय ड्रोन की गश्ती का ट्रायल होगा। इस दौरान रात में ड्रोन की तस्वीरों की गुणवत्ता, ड्रोन के उडऩे की क्षमता, उसके फोटो या वीडियो रिकॉर्ड करने की गुणवत्ता आदि के आधार पर एजेंसी का चयन किया जाएगा। फिलहाल सात कंपनियां ड्रोन के ट्रायल को लेकर विभाग के संपर्क में हैं।
उड़ान क्षमता के हिसाब से बनेगा पैनल
ड्रोन की उड़ान क्षमता के हिसाब से एजेंसियों का पैनल बनाया जाएगा। एक बार में 50 किमी से अधिक उड़ान की क्षमता रखने वाले ड्रोन और 50 किमी से कम उड़ान क्षमता रखने वाले ड्रोन का अलग-अलग पैनल बनेगा। ड्रोन कैमरा होने से छापेमारी के दौरान पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम को सटीक लोकेशन की जानकारी मिली सकेगी। छापेमारी से पहले जगह की रेकी भी की जा सकेगी। इसके अलावा अक्षांश, देशांतर के साथ लाइव तस्वीरें व वीडियो होने से मद्य निषेध से जुड़े कांडों के ट्रायल में आसानी होगी।