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सेना के दिवंगत पायलट के पिता का राष्ट्रपति को पत्र, प्रशिक्षण जरूरतों पर ध्यान देने का अनुरोध

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नई दिल्लीः पिछले साल जम्मू कश्मीर में दुर्घटना में जान गंवाने वाले आर्मी एविएशन कोर के एक पायलट के पिता ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सेना के सभी पायलट के लिए पानी के भीतर जीवित रहने के प्रशिक्षण से गुजरना और उन्हें आवश्यक जीवन रक्षक उपकरणों से लैस करना अनिवार्य कर दिया जाए। हरीश चंद्र जोशी के बेटे और आर्मी एविएशन की 254वीं स्क्वाड्रन के कैप्टन जयंत जोशी की तीन अगस्त 2021 को एक उड़ान के दौरान जम्मू कश्मीर में रंजीत सागर बांध के ऊपर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

आर्मी एविएशन के रुद्र वेपन सिस्टम इंटीग्रेटेड (डब्ल्यूएसआई) हेलीकॉप्टर के पायलट जयंत जोशी, परीक्षण पायलट और एविएशन इंस्ट्रक्टर लेफ्टिनेंट कर्नल ए एस बाथ के साथ 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हथियारों को लेकर लक्ष्य प्राप्ति और तैनाती का अभ्यास कर रहे थे, जब यह दुर्घटना हुई।

जयंत जोशी के पिता हरीश चंद्र जोशी ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है, ‘‘इस दुर्घटना ने आर्मी एविएशन में अपनाई जा रही सुरक्षा प्रक्रियाओं में कई स्पष्ट अंतराल को उजागर किया है। इसने स्पष्ट रूप से सेना के उड्डयन के मामलों के लिए जिम्मेदार लोगों के बीच पायलट सुरक्षा और प्रशिक्षण आवश्यकताओं के मामले में उदासीनता और उपेक्षा के रवैये को भी प्रकट किया है।”

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जोशी को मिले एक पत्र के अनुसार राष्ट्रपति सचिवालय ने शिकायत को रक्षा सचिव को भेज दिया है। उन्होंने सवाल किया कि रुद्र हेलीकॉप्टर को पानी के ऊपर क्यों उड़ाया जा रहा था? जोशी ने कहा, ‘‘मेरा सवाल यह है कि अगर रुद्र को पानी के ऊपर नहीं उड़ाया जाना था तो स्क्वाड्रन के हेलीकॉप्टर को नियमित रूप से पानी वाले उस क्षेत्र में उड़ान भरने के लिए क्यों भेजा जा रहा था, जो 25 किलोमीटर लंबा और आठ किलोमीटर चौड़ा था?” जोशी ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि यह कम उड़ान के लिए उपलब्ध एकमात्र क्षेत्र है क्योंकि यह बाधाओं से मुक्त है।

पत्र में उन्होंने कहा,‘‘ अगर ऐसा है तो क्या सेना के उड्डयन के मामलों को देखने के लिए जिम्मेदार किसी ने बुनियादी प्रशिक्षण आवश्यकताओं को महसूस किया और उन्हें उड़ान भरने के लिए भेजने से पहले आवश्यक सुरक्षा उपकरण प्रदान किया।” जोशी ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि सेना के सभी पायलट के लिए पानी के भीतर जीवन बचाने का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए और उन्हें आवश्यक जीवन रक्षक उपकरण से लैस किया जाए। पायलटों का समय-समय पर प्रशिक्षण मॉड्यूल के माध्यम से जीवन रक्षक कौशल बढ़ाया जाना सुनिश्चित किया जाए।

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