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रायपुर। छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास यानी ‘चिराग” परियोजना के संचालन के लिए राज्य के तीन आइएएस अफसरों की पत्नियों की मदद लेने की तैयारी है। उन्हें प्रोजेक्ट मैनेजर, असिस्टेंट प्रोजेक्टर मैनेजर व एक्जीकेटिव मैनेजर के पद का प्रस्ताव दिया गया है। संविदा के आधार पर दो वर्ष के लिए होने वाली इस नियुक्ति के लिए उन्हें पद अनुसार क्रमश: एक लाख, 80 हजार और 50 हजार मासिक वेतन भी दिया जाएगा।
तीनों महिलाओं को विभाग की तरफ से नौकरी के लिए दिए गए प्रस्ताव का पत्र सार्वजनिक हो गया है। इसे इंटरनेट मीडिया पर जमकर साझा भी किया जा रहा है। इनमें से एक सचिव, दूसरी विशेष सचिव और तीसरी एक जिले के कलेक्टर की पत्नी हैं। राज्य के प्रशासनिक से लेकर राजनीतिक गलियारे में इसे लेकर चर्चा का बाजार गर्म है
लोग पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में होने वाली इसी तरह की नियुक्तियों की याद दिला रहे हैं। चिराग योजना के संचालन की जिम्मेदारी कृषि विभाग को सौंपी गई है, लेकिन आइएएस अफसरों से जुड़ा मामला होने की वजह से कोई भी इस मामले में कुछ भी कहने को राजी नहीं है। इसकी वजह से विभाग के स्तर पर नियुक्ति की पुष्टि नहीं की जा रही है।
भाजपा ने हटाया ट्वीट
छत्तीसगढ़ भाजपा के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से इस संबंध में एक ट्वीट किया गया है। इसमें आफर लेटर के साथ अफसरों का नाम भी था। बाद में पार्टी ने इस ट्वीट को हटा लिया। इस संबंध में भाजपा आइटी सेल के प्रभारी दीपक म्हस्के से मोबाइल पर संवाद करने पर उन्होंने कहा कि वे लगातार प्रदेश से बाहर थे, इस वजह से इस विषय में अपनी टीम से बात करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।
क्या है चिराग परियोजना
विश्व बैंक से आर्थिक सहायता प्राप्त इस योजना को राज्य के 14 जिलों के आदिवासी विकासखंडों में लागू किया गया है। इस परियोजना का मकसद किसानों की आमदनी को बढ़ावा देना, गांवों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना, युवाओं को मछली पालन और कृषि का प्रशिक्षण देना आदि है।