
प्रदीप शर्मा,गोपालगंज।
गोपालगंज जिले में अब तक किसी भी बच्चे की मौत चमकी बुखार या (एईएस ) और जापानी इन्सेफेलाइटिस ( जेई ) से नहीं हुई है,यह बाते सिविल सर्जन ने बकायदा प्रेस रिलीज जारी कर कही है,
उन्होंने कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरों में तय्य की कमी है । बिना किसी जांच रिपोर्ट के नहीं कहा जा सकता है कि बच्चों को मौत जेई से हुआ है । एईएस से मिलता – जुलता लक्षण बच्चों में पाया जा रहा है । लेकिन जांच सामने नहीं आया है । सभी पीएचसी को अलर्ट मोड में रखा जाय ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में बच्चों की जान बचाई जा सके । प्रत्येक बच्चा अनमोल है . एक – एक बच्चे का विशेष ख्याल रखना है । जिले के सभी पीएचसी में जेई / एईएस से बचाव हेतु सभी आवश्यक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है ।

आवश्यक दवाओं के साथ – साथ पैरासिटामोल , ओआरएस , विटामिन ए सहित ग्लूकोज भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया गया है । उन्होने कहा कि लक्षण के आधार पर बच्चों का उपचार किया जा रहा है । इसको लेकर विभाग पूरी तरह से अलर्ट है ।
पीकू वार्ड में सभी सुविधाएं मुहैया करायी जा रही है । शिफ्टवाइज चिकित्सकों और कर्मियों की इयूटी लगायी गयी है । बेड और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है । ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गयी है । उच्च जोखिम वाले बच्चों को बेहतर उपचार के लिए चिकित्सकों द्वारा रेफर भी किया जा रहा है ।
ऑक्सीजन की नहीं है कोई कमी :
सिविल सर्जन डॉ . योगेंद्र महतो ने बताया कि जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी नही है । ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज की जान नहीं जायेगी । उन्होने बताया कि अखबारों में लिखा गया है कि ऑक्सीजन लेवल गिरने से मौत हई है , जब मरीज की हालत बिगड़ती है तो ऑक्सीजन लेवल डाउन होगा ही । इसका कतई मतलब नहीं है कि ऑक्सीजन की कमी । जिले में 500 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर भरा हुआ है । सभी बेड पर ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही है ।
अभिभावक इन बातों का रखें ध्यान :
अपने – अपने बच्चों को रात में बिना खाना खिलाएं नहीं साने दें । अगर कोई बच्चा शाम के समय में खाना खाया है और सो गया है तो उसे भी रात में जगाकर अवश्य खाना खिलाएं । बच्चों को रात में सोते समय अनिवार्य रूप से मीठा सामग्री यथा – गुड , चीनी आदि खिलाएं । • चमकी बुखार अधिकांशतः रात के 02 बजे से 04 बजे के बीच अक्रामक रूप लेता है । • अगर चमकी के साथ तेज बुखार हो तो तुरंत क्षेत्र के एएनएम , आशा , आंगनबाड़ी सेविका – सहायिका को सूचित करें । नजदीकी पीएचसी में ले जाकर समुचित उपचार कराएं।