बिलासपुर। कृषि के क्षेत्र में नवाचार के लिए प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले मल्हार के किसान जदुनंदन वर्मा ने लगातार दूसरे साल जैविक खाद से खेतों में कलरफुल गोभी उगाई है। उनके खेतों में गुलाबी के अलावा चाइनीज हरी गोभी की फसल लोगों को आकर्षित कर रही है। पीली गोभी बाजार मे बिकने के लिए तैयार
नवाचार के लिए महाराष्ट्र और हरियाणा के किसानों का नाम होता था। अब छत्तीसगढ़ के खासकर बिलासपुर जिले के किसान भी नवाचार में आगे निकलते जा रहे हैं। किसान जदुनंदन बताते हैं कि इस बार बीते वर्ष की तुलना में पांच एकड़ अधिक में रंगीन गोभी की खेती की। चाइनीज गोभी के अलावा गुलाबी और हरी गोभी की फसल ली है।
इसकी खासियत ये की पूरी तरह जैविक खाद से तैयार की गई है। जदुनंदन वर्मा ने प्राकृतिकतौर पर गुलाबी और पीले रंग की गोभी की खेती लगातार दूसरे साल कर चौंका दिया है। खास बात यह है कि इनमें किसी भी तरह का बाहरी कलर इस्तेमाल नहीं किया गया है। बीते वर्ष प्रयोग के तौर पर 60 डिसमिल में 300 पौधे लगाए थे। इसके लिए स्विटजरलैंड की सिजेंडा कंपनी के बीज लिए थे। इस वर्ष पांच एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं।
बढाएगी इम्युनिटी
अन्य फूलगोभी मे प्रोटीन न के बराबर होता है। जबकि इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक जैसे गुण पाए जाते हैं
गोभी में सबसे ज्यादा मिलता है कार्बोहाइड्रेट
100 ग्रामफूल गोभी में सबसे ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। ख़ास बात ये है कि फूल गोभी रोज़ की ज़रूरत का 70 से 100 फीसद तक का विटामिन सी देता है। दो प्रतिशत कैल्शियम और आयरन, छह फीसद पोटेशियम और तीन फीसद मैग्नीशियम भी पाया जाता है
रिसदा के किसान पास 80 साल पुरानी धान बीज
मल्हार के अलावा रिसदा के प्रगतिशील किसान राघवेंद्र सिंह के पास 80 साल पुरानी तकरीबन 10 किस्मो के धान का बीज है। इसे सुरक्षित रखने के लिए वे हर दो साल में इन बीजों की बोआई करते हैं। इसके लिए खेत भी आरक्षित कर रखा है। राघवेन्द्र की खासियत ये की वे पूरी तरह जैवीक खेती करते हैं। यही नहीं आसपास के किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ ही प्रेरित भी करते हैं। जैविक खाद मुफ्त में देते हैं।