गोपालगंज। मुखिया के पहली ही पारी में अनु मिश्रा ने रिकॉर्ड मतों से की जीत दर्ज,तो पूर्व के दिग्गजों का भी जाने हाल।

रंजीत शाही,गोपालगंज।
बिहार पंचायत चुनाव के तीसरे चरण को लेकर 8 अक्टूबर को हुए मतगणना की गिनती 10 अक्टूबर देर शाम तक हो गया, लेकिन भोरे प्रखंड के 17 पंचायत में
जीत और हार का जो अंतर देखा गया, वह कही न कही दिलचस्प रहा, भोरे में हम उन तीन पंचायतों की बात कर रहे है, जहां चुनावी समर में उतरे दो महिला मुखिया प्रत्याशी सहित एक पुरुष, ने फर्स्ट,सेकंड,थर्ड रैंक अपने नाम किया।

जीत का रिकॉर्ड भी 17 पंचायत में इन तीन नए चेहरों ने अपने नाम दर्ज किया है, पहली तस्वीर हम आपको भोरे प्रखंड के सिसई पंचायत से लेकर सामने आए हैं, जहां दो बार से मुखिया रही कुंती देवी को नए उम्मीदवार अनु मिश्रा ने 1389 मतों से हराया, पहली बार चुनावी मैदान में उतरी युवा महिला नेत्री अन्नू मिश्रा ने उन्हें रिकॉर्ड 1389 मतों से पटखनी दी है,अब इसे बदलाव की बयार कहें या जनता का आक्रोश,लेकिन हमेशा जनता के बीच रहने वाले कृष्णानंद ओझा की पत्नी कृता देवी की हार भी काफी आश्चर्यजनक ही है,
अब आपको हम दूसरी रिपोर्ट दिखा रहे हैं, भोरे प्रखंड के जगतोली पंचायत की जहां नए उम्मीदवारों अशोक साह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी रमाशंकर साह को 765 मतों से पराजित कर दिया, रिपोर्ट के मुताबिक यह दोनों चेहरे नये है,
इन दोनों पंचायत के बाद रिपोर्ट हम भोरे पंचायत की दिखा रहे हैं, जहां पिछले पंचायत चुनाव में 22 सौ से ऊपर मतों से जीत हासिल करने वाली महिला मुखिया प्रत्याशी पदुम देवी इस बार पंचायत चुनाव हार गई, और भोरे पंचायत के नए मुखिया प्रत्याशी प्रियंका कुशवाहा ने 446 मतों से मुखिया पद का चुनाव जीता। भोरे प्रखंड के 17 पंचायत के यह तीन ऐसे उम्मीदवार है, जो फर्स्ट,सेकंड,थर्ड रैंक पर रहे, पूर्व पंचायत चुनाव में जिन दो महिला प्रत्याशी ने दो हजार से भी ऊपर मतों से जीत हासिल की, एक चुनाव हार गई, तो दूसरा चुनाव जीतने के बाद भी आंकड़ों में सिमट कर रह गई।
यह मैं नहीं इस बार पंचायत चुनाव के मुखिया पद के
जीत हार के आंकड़े जो सामने आए हैं, वह बयां कर रहे हैं, ऐसा भी नहीं है कि इस बार के पंचायत चुनाव में पूर्व के सभी मुखिया प्रत्याशी चुनाव हार गए हो, उसमें कुछ जीते भी हैं, लेकिन उनके जीतने का जो आंकड़ा है वह 500 के नीचे है, जिनमें छठीयाव,कोरेया, हुसेपुर,डोमन पुर,रकबा शामिल है, दो और पंचायत है लेकिन उम्मीदवार बदले हैं, कहीं मुखिया की पत्नी तो कहीं मुखिया की पतोह ने चुनाव में जीत हासिल की है।