पटना। बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव बेहद प्रासंगिक हैं। पक्ष और विपक्ष, दोनों को ही उनकी जरूरत रहती है। इस समय लालू बीमार हैं और दिल्ली में बेटी मीसा के घर पर हैं। इस बीच दो बार स्क्रीन पर उनका चेहरा झांका तो बीमार ही दिखाई पड़ा, लेकिन तीन दिन पहले जारी उनकी एक तस्वीर ने यह धारणा बदल दी। तस्वीर में उनका चेहरा पहले जैसा दिख रहा था। तस्वीर के बाहर आते ही उनके बिहार आने की संभावना भी बढ़ गई है। हालांकि कब तक, यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
लालू की बीमारी की खबरें आम हैं, लेकिन अष्टमी को दोपहर में इंटरनेट मीडिया पर वायरल उनकी तस्वीर ने सबको चौंका दिया। बेटी मीसा ने इसे पोस्ट किया था, जिसमें काला चश्मा लगाए लालू अपने नाती के साथ प्रसन्नचित्त नजर आ रहे हैं। चेहरे पर बीमारी के कोई लक्षण नहीं। हंसती हुई उनकी मुद्रा उनके समर्थकों व विरोधियों, दोनों का हौसला बढ़ा गई। उस तस्वीर को लेकर बेटी मीसा ने लिखा कि नाना और नाती में कूल दिखने की होड़। इसके बाद इसी तस्वीर को बड़े बेटे तेजप्रताप ने अपने फेसबुक वाल में यह लिखकर पोस्ट किया कि असली किंगमेकर।
जेल से जमानत पर छूटने के बाद एक बार पार्टी के स्थापना दिवस व दूसरी बार कार्यकर्ता सम्मेलन में जब वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रकट हुए थे तो काफी बीमार दिख रहे थे। आवाज तक स्पष्ट नहीं थी। उस अवस्था को देखकर यह लगने लगा था कि वे जल्दी स्वस्थ होने वाले नहीं, लेकिन कुछ दिनों पहले पार्टी की बागडोर संभाले छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने यह घोषणा की, कि लालू यादव 22 अक्टूबर को बिहार आ रहे हैं और वे तारापुर और कुशेश्वरस्थान के उपचुनाव में एक-एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद यह तिथि 20 अक्टूबर हो गई।
लालू के आगमन की खबर उनके दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए जहां आत्मबल बढ़ाने वाली थी, वहीं विरोधी एनडीए को भी ऊर्जा दे गई, क्योंकि एनडीए का सबसे बड़ा शस्त्र लालू विरोध ही है। विकास जैसे ज्वलंत प्रश्न लालू के नाम के आगे दम तोड़ देते हैं। लालू का जंगलराज एनडीए का सबसे बड़ा मुद्दा है। इसीलिए पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को कुंद करने के लिए पोस्टरों से लालू की तस्वीर ही हटा दी थी, जिसका फायदा भी मिला था, लेकिन आखिरी के दो चरणों में एनडीए इसे मुद्दा बनाने में सफल हो गया और बाजी उसके हाथ लगी। इस बार जब लालू के आगमन की खबर आई तो यह सवाल भी उठा कि बीमार लालू को उपचुनाव में उतार तेजस्वी क्या सहानुभूति लूटने के फेर में हैं या जंगलराज के नारे की हकीकत परखने के? इसी बीच अचानक यह तस्वीर जब सामने आई तो साथ ही यह संदेश भी बाहर आ गया कि लालू पूरी तरह स्वस्थ हैं और विरोधियों को जवाब देने के लिए तैयार भी।
लेकिन ज्यादा देर यह संदेश टिका नहीं रह सका और दम तोड़ गया। शुक्रवार को राबड़ी देवी ने स्पष्ट कर दिया कि लालू ठीक नहीं हैं और वे अभी बिहार नहीं आएंगे। हर खबर पर अपने मतलब का अर्थ लगा लेने वाले अब यह अर्थ लगा रहे हैं कि तेजस्वी के हाथ में पूरी तरह अपनी राजनीतिक बागडोर थमाने को आतुर लालू इन दोनों सीटों पर अपनी जीत मान रहे हैं और वे इसका श्रेय तेजस्वी को देना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि उनके आने के बाद मिली जीत का श्रेय तेजस्वी के हाथ से चला जाए।
लालू का यह फैसला तेजस्वी के हक में तो ठीक है, लेकिन घर से नाराज चल रहे बड़े बेटे तेजप्रताप के लिए तो बिल्कुल ही नहीं, जो उनके बिहार आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वे परिवार पर ही लालू को दिल्ली में बंधक बनाए जाने का आरोप तक लगा चुके हैं। पार्टी से दरकिनार तेजप्रताप के बयान इस समय पार्टी और परिवार दोनों के लिए मुसीबत बने हैं। उन्हें समझाने के लिए मां राबड़ी देवी दिल्ली से आईं भी, जो एयरपोर्ट से सीधे उनके घर गईं, लेकिन तेजप्रताप उनके घर पहुंचने से पहले ही निकल लिए। यह माना जा रहा है कि तेजप्रताप सिर्फ लालू की ही सुनेंगे।