ढाका: भारत एक स्थिर, प्रगतिशील और समृद्ध राष्ट्र के बांग्लादेश के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है और 1971 का मुक्ति संग्राम दोनों देशों के बीच संबंधों का आधार रहा है। बांग्लादेश में भारत के राजदूत प्रणय वर्मा ने यह बात कही। बांग्लादेश की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी बीएसएस ने भारतीय उच्चायुक्त वर्मा के हवाले से कहा, “यह हमारे लिए अपनी दोस्ती को संजोने और 1971 की भावना को संरक्षित करने व बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दोहराने का समय है, जो हमारे (बांग्लादेश-भारत) संबंधों का आधार बनी हुई है।”
वर्मा ने विजय दिवस पर अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए शनिवार को कहा कि मुक्ति संग्राम और लोगों की जीत बांग्लादेश की आजादी के लिए दोनों देशों के साझा बलिदान का प्रतीक है और दिल्ली व ढाका के बीच समय की कसौटी पर परखी गई दोस्ती का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “दोनों देशों की नियति हमारे भूगोल और ऐतिहासिक जड़ों की तरह जुड़ी हुई है, ऐसे में हम आज अपने संबंधों में सोनाली अध्याय (सुनहरा अध्याय) के वादे को साकार करने के शिखर पर हैं।”
उल्लेखनीय है कि 25 मार्च 1971 की आधी रात को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा अचानक की गई कार्रवाई के बाद मुक्ति संग्राम छिड़ गया था और यह 16 दिसंबर को समाप्त हुआ था। उसी वर्ष पाकिस्तान की सेना ने हार मान ली थी और ढाका में स्वतंत्रता सेनानियों व भारतीय सैनिकों सहित मित्र देशों की सेनाओं के सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था।