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शादी का एक कानून खत्म कर देगा इस देश के लोगों की पहचान! हर कोई पूछेगा-आप कौन?

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जापान में किए गए एक शोध के बाद एक अजीब दावा किया जा रहा है. रिसर्च के मुताबिक अगर शादी के कानूनों में बदलाव नहीं होता है तो एक दिन जपान में हर किसी का सरनेम एक ही होगा. इस कानून के तहत जोड़ों को एक ही उपनाम रखने की इजाजत होती है. तोहोकू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिरोशी योशिदा के नेतृत्व में की गई रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि यदि जापान शादीशुदा जोड़ों पर एक ही उपनाम चुनने के लिए दबाव डालना जारी रखा गया है, तो साल 2531 तक हर जापानी आदमी को “सातो-सान” कहा जाएगा.

दुनिया की ज्यादातर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से उलट जिन्होंने इस परंपरा को खत्म कर दिया है, जापान में अभी भी कानूनी तौर पर विवाहित जोड़ों को एक ही उपनाम रखने की इजाजत है. यहां आमतौर पर पत्नियां अपने पति का नाम अपने उपमान के तौर पर लेती हैं और जापान में समलैंगिक शादी को अभी भी लीगल नहीं किया गया है. इन नामों में सबसे ज्यादा रखा जाने वाला नाम ‘सातो-सान’ है.

“लोगों की नंबर से की जाएगी पहचान”

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सातो पहले से ही देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला उपनाम है, जो मार्च 2023 के सर्वे के मुताबिक कुल आबादी का 1.5 फीसद है, जबकि उपनाम ‘सुजुकी’ दूसरे नंबर पर है. प्रोफेसर योशिदा ने कहा, अगर हर कोई सातो बन जाता है, तो हमें हमारे पहले नाम या नंबर से बुलाना होगा.

उन्होंने कहा कि ऐसी दुनिया में रहना ठीक नहीं होगा, जहां लोग अपनी पहचान खो दे या एक जैसी करलें. बता दें योशिदा की रिसर्च कई धारणाओं पर आधारित है, इसकी रिपोर्ट के पीछे जपान के विवाह कानून में जपान की पुरानी संस्कृति का प्रभाव दिखाया गया है.

कौन से साल में होगा सबका एक ही नाम?

प्रोफेसर ने कहा, सातो से भरा देश न सिर्फ असुविधाजनक होगा बल्कि व्यक्तिगत गरिमा को भी कमजोर करेगा. अगर योशिदा के अनुमान पर भरोसा किया जाए तो 2022 और 2023 के बीच सातो उपनाम वाले जापानी लोगों का अनुपात 1.0083 गुना बढ़ गया है और विवाह कानून बदले नहीं जाते हैं तो 2446 तक लगभग आधी जापानी आबादी का उपनाम एक ही होगा, जो 2531 में 100 फीसद तक बढ़ जाएगा.

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