तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को लेकर चीन की नापाक हरकत सामने आई है. वह तिब्बती मठों में दलाई लामा के खिलाफ आपत्तिजनक बुकलेट बांट रहा है और उनकी मौत की कामना कर रहा है. चीन का कहना है कि दलाई लामा की मौत के बाद किसी तरह का धार्मिक अनुष्ठान न हो. ड्रैगन दलाई लामा के बाद तिब्बती मठों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहता है और उनके धार्मिक पहचान को मिटाने में लगा हुआ है.
बुकलेट के जरिए कहा गया है कि दलाई लामा की मौत के बाद बौद्ध भिक्षुओं को तिब्बती आध्यात्मिक नेता और अन्य धार्मिक गतिविधियों और अनुष्ठानों की तस्वीरें जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. चीन के अधिकारियों ने गांसु प्रांत में मठों को बुकलेट बांटी हैं. बुकलेट में 10 नियमों की लिस्ट है. दरअसल, दलाई लामा इस समय धर्मशाला में में रह रहे हैं. वह तिब्बत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक नेता हैं.
चीन ने 1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था. चीनी अधिकारियों का दावा है कि केवल चीनी सरकार ही देश के अपने कानूनों के अनुसार तिब्बती बौद्धों के उत्तराधिकारी और अगले आध्यात्मिक नेता का चयन कर सकती है. इसके विपरीत, तिब्बतियों का मानना है कि यह दलाई लामा स्वयं हैं जो पुनर्जन्म लेने के लिए शरीर का चयन करते हैं. इस तरह की परंपरा 1391 से चली आ रही है और 13 बार हो चुकी है. इस महीने की शुरुआत में दलाई लामा ने सैकड़ों लोगों को संबोधित किया था. अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि उनका स्वास्थ्य अच्छा है और वह 100 सालों से अधिक तक जीने वाले हैं.
दलाई लामा का रीति-रिवाजों से होगा चुनाव!
कई अवसरों पर दलाई लामा ने इस बात पर जोर दिया कि उनका उत्तराधिकारी तिब्बती पुनर्जन्म के माध्यम से चुनना चाहते हैं. उनका विश्वास है कि चीनी की दखलंदाजी के बिना एक स्वतंत्र देश से होगा. इस महीने तिब्बती बौद्ध धर्म में दूसरे सर्वोच्च पद धारक पंचेन लामा अपना 35वां जन्मदिन मनाएंगे. मौजूदा दलाई लामा द्वारा उन्हें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी गई. इस मान्यता को मिलने के तीन दिन बाद ही चीन ने उन्हें और उनके परिवार को 17 मई 1995 को बंधक बना लिया था. उस समय वह बच्चे थे.