दिल्ली में आशा किरण शेल्टर होम में मौतों के बाद एक्शन में राष्ट्रीय महिला आयोग, मुख्य सचिव और पुलिस कमिश्नर को भेजा नोटिस
दिल्ली के रोहिणी में आशा किरण शेल्टर होम में मौतों पर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) हरकत में आ गया है. आयोग ने दिल्ली के मुख्य सचिव, पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर घटना से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने शेल्टर होम में संदिग्ध मौतों पर खुद ही संज्ञान लेते हुए यह नोटिस जारी किया है. एक दिन पहले यानी शुक्रवार को आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा शेल्टर होम का निरीक्षण करने भी पहुंचीं थीं.
आयोग की अध्यक्ष ने कहा था कि मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बनाए गए शेल्टर होम में क्षमता से दोगुने लोगों की भीड़ है. मेन्यू के हिसाब से खाना नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके निरीक्षण के दौरान जब खाने को चेक किया गया तो कुछ में फंगस लगा हुआ था. शर्मा ने कहा कि लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. शेल्टर होम में रह रहे लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं हैं.
AAP के चार विधायक धरने पर बैठे
शेल्टर पर होम सियासत गरम होने के बाद शनिवार को आम आदमी पार्टी के चार विधायक आशा किरण होम पहुंचे थे. इन विधायकों में कुलदीप कुमार, महेंद्र गोयल ,जय भगवान उपकार और अखिलेश पति त्रिपाठी शामिल थे. इन चारों विधायकों को आशा किरण होम के भीतर घुसने नहीं दिया गया. इसके बाद नाराज होकर चारों विधायक शेल्टर होम के गेट पर धरने पर बैठ गए.
विधायक महेंद्र गोयल ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में है तो उपराज्यपाल ही सबको आदेश दे रहे हैं. अधिकारी इस मामले को देख रहे हैं. इस समय उप-राज्यपाल की ही चल रही है. मामले की जांच की जा रही है. इसके लिए उपराज्यपाल जिम्मेदार हैं. अफसरशाही हावी है.
मंत्री आतिशी बोलीं- जांच रिपोर्ट का इंतजार करें
दिल्ली के आशा किरण में संदिग्ध मौत के मामले में दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी का बयान सामने आया. दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार का सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट आशा किरण होम चलाता है. ज्यादातर केस में गंभीर बीमारी के शिकार भी रहते हैं. 5 डॉक्टर और 17 नर्स भी वहां तैनात रहते हैं. 450 केयर टेकर भी वहां काम करते हैं.
आतिशी ने कहा कि ये गंभीर मामला है. इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच के ऐलान हुआ है. अगर इस जांच में किसी अफसर की लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. लापरवाही सामने आने पर अफसर के खिलाफ सरकारी कार्रवाई के अलावा पुलिस का मामला भी दर्ज कराएंगे. प्राथमिक कारण बताना उचित नहीं होगा, रिपोर्ट आने का इंतजार करें.