लखनऊ। छल और बल से धर्म परिवर्तित कराने के बाद युवतियों की प्रताड़ना की कहानियां दिल दहला देने वाली थीं। कई ने तो प्यार के झूठे वादों से मिले धोखे की कीमत अपनी जान देकर चुकाई। महिलाओं के उत्पीड़न की इस त्रासदी से उपजे कानून का शिकंजा कसना शुरू हो गया है। पुलिस कार्रवाई के कदम बढ़े हैं और कोर्ट में पैरवी चल रही है। उत्तर प्रदेश में इस कानून की नींव रखने वाली भाजपा अब इसे और कठोर बनाने की पैरोकारी भी कर रही है। हालांकि अब तक इन मुकदमों में किसी आरोपित को कोर्ट से सजा नहीं हुई है।
भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में इस कानून के तहत सभी मामलों में कम से कम 10 वर्ष की सजा व एक लाख रुपये जुर्माना कराये जाने की बात कही है। साफ है कि आने वाले दिनों में इस कानून का दायरा और बड़ा होगा। पुलिस ने विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत कार्रवाई शुरू की तो अब तक 41 मुकदमे ऐसे भी दर्ज हुए, जिनमें आरोपित नाबालिग हैं। दरअसल, प्रदेश में लव-जिहाद की बढ़ती घटनाएं कानून-व्यवस्था के लिए लगातार चुनौती बनती जा रही थीं। ऐसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मतांतरण को कठोर कानून बनाने की घोषणा की थी।
विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 को प्रभावी हुआ था, जिसके बाद से जनवरी, 2022 तक इस अध्यादेश के तहत कुल 164 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें सबसे अधिक 38 मुकदमे बरेली जोन व 31 मुकदमे मेरठ जोन में दर्ज हुए हैं। 97 मुकदमे ऐसे हैं, जिनमें पीड़ित महिला कोर्ट में आरोपितों के विरुद्ध बयान दे चुकी हैं। अब तक दर्ज कुल मुकदमों मेें 399 नामजद आरोपित हैं, जबकि 105 आरोपितों के नाम जांच के दौरान प्रकाश में आये हैं।
यूपी पुलिस अब तक कुल 504 आरोपितों में से 280 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। 21 आरोपित अदालत में हाजिर हो गई, जबकि पुलिस की जांच के दौरान 99 आरोपितों की भूमिका नहीं पाई गई। पुलिस 90 आरोपितों की तलाश कर रही है। 115 मुकदमों में कोर्ट में आरोपपत्र भी दाखिल किये जा चुके हैं। 30 मुकदमों में विवेचना चल रही है। पुलिस ने एक मुकदमे को खारिज किया और 17 मामलों में अंतिम रिपोर्ट लगाई जा चुकी है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि इन मामलों में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की गाइड लाइन के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है। शेष मामलों में भी पुलिस प्रभावी पैवरी कर रही है।
कहां कितने मुकदमे
- लखनऊ कमिश्नरेट : छह
- गौतमबुद्धनगर कमिनरेट : सात
- कानपुर कमिश्नरेट : चार
- वाराणसी कमिश्नरेट : शून्य
- मेरठ जोन : 31
- बरेली जोन : 38
- आगरा जोन : नौ
- कानपुर जोन : चार
- लखनऊ जोन : 13
- प्रयागराज जोन : 18
- गोरखपुर जोन : 20
- वाराणसी जोन : 14
यह है सजा और जुर्माना
- अध्यादेश में छल-कपट से, प्रलोभन देकर, प्रपीडऩ, बल पूर्वक अथवा विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के सामान्य मामले में कम से कम एक वर्ष तथा पांच वर्ष अधिकतम सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कम से कम 15 हजार रुपये तक जुर्माना होगा।
- नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के मामले में कम से कम दो वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक के कारावास तथा कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माना होगा।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कम से कम तीन वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माना होगा।
ऐसा धर्म परिवर्तन है अपराध : कानून के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जो मिथ्या, निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक, प्रभाव, प्रपीड़न, प्रलोभन या अन्य किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए किया जाएगा।