
पटनाः बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि राज्य की विधानसभा ने लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
फागू चौहान ने गुरुवार को विधानसभा भवन शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार विधान सभा ने लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा अपनी लंबी यात्रा में इसने लोकतांत्रिक सिद्धांतों, परम्पराओं एवं मर्यादाओं का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। इसने जनाकांक्षाओं को मुखर अभिव्यक्ति देने के साथ-साथ उनकी पूर्ति के लिए सार्थक प्रयत्न भी किया है। इसकी विभिन्न गतिविधियों और इसके द्वारा निर्मित कानूनों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यों को गति मिली है, प्रशासनिक संरचना सुद्दढ़ हुई है तथा अनेक प्रकार की सामाजिक बुराईयों को रोकने के प्रयास किए गए।
“बिहार विधानसभा ने निभाई उत्कृृष्ट व प्रभावशाली भूमिका”
राज्यपाल ने कहा कि बिहार विधान सभा ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के वाहक के रूप में उत्कृृष्ट और प्रभावशाली भूमिका निभाई है। 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग करके बिहार एवं उड़ीसा को मिलाकर एक पृथक राज्य की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय पटना निर्धारित किया गया। उन्होंने कहा कि इस राज्य के अस्तित्व में आने पर इसके विधायी कार्य के संचालन के लिए गठित विधायी परिषद एवं इसके सचिवालय के लिए एक नए भवन का निर्माण कराया गया, जो वर्तमान में बिहार विधानसभा का मुख्य भवन है।

“वैशाली लोकतंत्र की जननी है”
फागू चौहान ने देश में प्रतिनिधिमूलक राज व्यवस्था की चर्चा करते हुए कहा कि वैशाली लोकतंत्र की जननी है, जहां बज्जी संघ के नेतृत्व में प्रथम गणराज्य की स्थापना हुई थी। प्राचीन काल में लिच्छवी, कपिलवस्तु, कुशीनारा, रामग्राम, पिफली, सुपुता, मिथिला, कोलांगा आदि गणराज्यों में प्रतिनिधिमूलक राज व्यवस्था थी जिसका संचालन सभा, समितियों और गणपति के माध्यम से हुआ करता था। इन गणराज्यों का अस्तित्व ईसा पूर्व छठी सदी से देश के विभिन्न हिस्सों में 400 ईस्वी तक कायम रहा।