बेटे ने मां का किया कत्ल, सुधार गृह से साइंटिस्ट पापा को भेजा मैसेज- ‘डैड आज भी मैं आपका श्रवण कुमार…’
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के सुशांत सिटी में रहने वाले साइंटिस्ट के नाबालिग बेटे ने बीते तीन दिसंबर को अपनी मां को धक्का देकर दीवार से उनका सिर लड़ा दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. आठ दिसंबर को साइंटिस्ट पिता के घर आने पर घटना की जानकारी हुई. इस दौरान करीब छह दिन तक नाबालिग पत्र मां के शव के साथ ही रहा. पहले तो पिता को विश्वास ही नहीं था कि उनका पुत्र ऐसी घिनौनी हरकत कर सकता है, लेकिन पुलिस जांच में सच्चाई सामने आने पर उन्होंने पुलिस से शिकायत की.
उम्र कम होने के नाते पुलिस ने उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया, जहां वह पूरे दिन व पूरी रात गुमसुम रहा. वह खाना खाने को तैयार नहीं था. एक रिश्तेदार उससे मिलने गए तो उसने पिता के लिए मार्मिक संदेश भेजा. बोला, पापा आज भी मैं आपका श्रवण कुमार हूं, जो गलती मुझसे हो गई उसके लिए माफ कर दीजिए. मैं कभी सोच नहीं सकता था कि ऐसा मेरे हाथ से होगा. मुझे अपनी करनी पर पश्चाताप है. प्लीज, मुझे माफ कर दीजिए.
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर चेन्नई के साइंटिस्ट राम मिलन ने करीब 4 साल पहले पिपराइच थानाक्षेत्र के सुशांत सिटी में मकान बनवाया था. उनकी चेन्नई में ही पोस्टिंग थी. उनका बेटा हाई स्कूल तक की पढ़ाई चेन्नई से ही किया था, लेकिन जब गोरखपुर में मकान बन गया तो उन्होंने पत्नी के साथ बेटे को गोरखपुर भेज दिया. ताकि यहां देखभाल भी होती रहे और बेटे की पढ़ाई भी अच्छे तरीके से होती रहे. इसके लिए उन्होंने बेटे को फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ सब्जेक्ट से क्षेत्र के सबसे अच्छे स्कूल पीएन नेशनल स्कूल में एडमिशन करवाया.
गलत दोस्तों की संगत में पड़ गया था बच्चा
यही नहीं, पिता ने उसकी बेहतरी के लिए एक कोचिंग में भी एडमिशन दिलवा दिया, लेकिन वह अक्सर स्कूल नहीं जाता था और ना ही कोचिंग सेंटर. फीस के लिए मिलने वाले पैसे अपने दोस्तों के साथ नशेबाजी में उड़ता था. घटना से पर्दा उठाने के बाद जब यह साफ हो गया कि बेटा ही अपनी मां का हत्यारा है तो साइंटिस्ट पिता ने उसे बीते गुरुवार को पुलिस को सौंप दिया.
उम्र कम होने के नाते पुलिस ने उसे गुलरिहा थाना क्षेत्र के शिवपुर साहबजगंज स्थित बाल सुधार गृह में भेज दिया. बाल सुधार गृह में वर्तमान में ढाई सौ से अधिक नाबालिक आरोपी हैं, जो रेप, मारपीट, चोरी हत्या जैसी घटनाओं के आरोप में बंद है. वहां जाने पर साइंटिस्ट का बेटा गुमसुम बैठा रहा. वह रात को खाना भी नहीं खा रहा था. काफी रिक्वेस्ट पर वह रोटी का केवल दो निवाला खाकर खाने की फार्मेलिटी किया. साथ ही पूरी रात करवटें बदलते रहा. उसे नींद नहीं आ रही थी.
‘गलती मुझसे जरूर हो गई है…’
सुबह जब एक रिश्तेदार उससे मिलने पहुंचे तो आरोपी बेटे ने पश्चाताप करते हुए कहा कि मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मैं ऐसा करूंगा. गलती मुझसे जरूर हो गई है, लेकिन मैं बुरी नीयत से ऐसा कुछ नहीं किया. मेरा मन यहां पढ़ाई में नहीं लग रहा था. मैं चेन्नई वापस जाना चाहता था. कुछ दोस्त मुझे खराब मिल गए जिनसे मुझे नशे की आदत लग गई.
पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि वैज्ञानिक राममिलन को बेटे से बड़ी उम्मीदें थीं. जब उनका बेटा छोटा था तभी से मां-बाप का बहुत ख्याल रखता था. ऐसे में राममिलन अक्सर अपने परिवार वालों से कहते थे कि मेरा बेटे का गुण श्रवण कुमार से मिलता है. बेटे की देखभाल के प्रति संजीदगी को देखते हुए उन्होंने पत्नी के साथ पुत्र को गोरखपुर भेज दिया था.
आरोपी बेटा शुरू से ही पैसा कमाना चाहता था. उसका सपना इंजीनियर बनना था. वह शेयर मार्केट से भी पैसे कमाता था. उसने शेयर कारोबार के लिए डीमैट अकाउंट भी खोल रखा था. वह अक्सर शेयर में पैसा लगता था. सूत्र बताते हैं कि उसके खाते में अभी भी ₹15000 हैं. उसके पिता ने साइंस विषयों के साथ 11वीं में दाखिला दिलवाया था. वह 12वीं का छात्र था.
क्यों छिपाई कत्ल की कहानी?
बाल सुधार गृह में मिलने गए रिश्तेदार को उसने बताया कि जो गलती हो गई, उसे छुपाना चाहता था, इसलिए पिता या किसी को भी नहीं बताया. उसे छुपाने के चलते मैं झूठ पर झूठ बोलता रहा. मैं पिता व समाज की नजर में गिर चुका हूं. यदि पाप मुझे माफ नहीं करेंगे तो इस जीवन का कोई मतलब नहीं.
परिवार के लोग बताते हैं कि जब वह चेन्नई से गोरखपुर आया तो उसका यहां पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था. उसे यह एहसास होता था कि उसकी जिंदगी यहां खराब हो जाएगी. क्योंकि यहां विकास का बहुत अवसर नहीं है. करियर का कोई अवसर नहीं है. इसी उधेड़बुन में वह गलत दोस्तों के संगत में पड़ गया था और नशे की लत ने उसे बर्बाद कर दिया. नाबालिक आरोपी पुत्र का भविष्य क्या होगा? पिता उसे माफ करेंगे या नहीं? यह सब भविष्य के गर्भ में है.