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मध्य प्रदेश में आरटीआई से ब्लैकमेलिंग को लेकर कलेक्टर-सूचना आयुक्त आमने-सामने आए

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इंदौर   सूचना का अधिकार (आरटीआई) में जानकारियां देने में अब सरकारी कार्यालय बचने लगे हैं। ऐसे ही कार्यालयों के लोगों की शिकायत पर पिछले दिनों इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह ने बिना जांच पड़ताल के आरटीआई कार्यकर्ता के खिलाफ ब्लैकमेलिंग की एफआईआर दर्ज करा दी। कलेक्टर की इस कार्रवाई के खिलाफ राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि आज तक ऐसी कोई शिकायत उनके पास नहीं आई तो कई लोग उनके साथ खड़े हो गए। वे कहते हैं कि वह आदमी ब्लैकमेल होता है जिनके काले कारनामे आरटीआई से उजागर होते हैं।

सूचना के अधिकार में कई आरटीआई कार्यकर्ता सरकारी योजनाओं, निर्माणों, प्रशासनिक कामकाज की जानकारी निकलवाते हैं लेकिन अब सरकारी तंत्र ने इस तरह जानकारियां देने से बचने के लिए टालमटोल कार्यवाही का रास्ता अपनाना शुरू कर दिया है। ऐसे ही कुछ लोगों ने पिछले दिनों इंदौर कलेक्टर की एक बैठक में यह शिकायत कर दी कि आरटीआई से ब्लैकमेल किया जाता है। कलेक्टर ने अफसरों की इस शिकायत को बिना जांच पड़ताल किए तुरंत आदेश दे दिए कि ब्लैकमेलिंग की एफआईआर दर्ज करा दी।

राज्य सूचना आयुक्त सामने आए

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कलेक्टर मनीष सिंह की इस कार्रवाई पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह सामने आए। उन्होंने ट्विटर पर मनीष सिंह की कार्रवाई को लेकर अपने अनुभव बताए और कहा कि वे 2019 से सूचना आयुक्त हैं। आज तक कोई भी ऐसी शिकायत नहीं मिली। जो अधिकारी ब्लैकमेल होते हैं और जो उन्हें करते हैं, दोनों ही एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि ब्लैकमेल करना अपराधिक कृत्य है जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। मगर आरटीआई की जिस जानकारी के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा है तो उसे प्रशासनिक पारदर्शिता के मापदंड के तहत पब्लिक प्लेटफार्म पर डाल देना चाहिए। सिंह ने कहा कि ब्लैकमेल किस किस्म के अधिकारी होते हैं, यह भी सवाल अक्सर उठता है।

कलेक्टर के आदेश के बाद आरटीआई कार्यकर्ताओं का अब महासम्मेलन

आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय भी अब सामने आ गए हैं। उन्होंने विधानसभा के बजट सत्र के पहले आरटीआई कार्यकर्ताओं का महासम्मेलन बुलाने का ऐलान किया है। इसमें आईटीआई कार्यकर्ताओं के सामने आ रही चुनौतियों पर कैसे निपटा जाए, उस पर चर्चा की जाएगी। राज्य सूचना आयोग के आयुक्तों सहित रिटायर्ड हाईकोर्ट जज को आमंत्रित किया जाएगा।

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