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उत्तरप्रदेश

राम मंदिर में हनुमान जी का आगमन! गर्भगृह में पहली बार करेंगे रामलला के दर्शन; 200 वर्षों बाद बना ये संयोग

अयोध्या धाम 30 अप्रैल को इतिहास रचने जा रहा है. अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर राम नगरी में पहली बार ऐसा अद्भुत आयोजन होगा, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी गर्व से याद करेंगी. सुबह 7:00 बजे हनुमानगढ़ी से भव्य शाही जुलूस हाथी, घोड़े, ऊंट, ध्वज, पताका, पालकी, शंखनाद और जयघोषों के बीच निकलेगा. हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महाराज, हनुमानजी के प्रतिनिधि स्वरूप, अपने आराध्य श्रीरामलला के दर्शन और पूजन हेतु रवाना होंगे.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन महाराज से रामलला के गर्भ गृह की परिक्रमा का शुभारंभ करने का निवेदन किया है. राम मंदिर में राम भक्तों के लिए भगवान रामलला की परिक्रमा के लिए परिक्रमा पथ का निर्माण किया गया है, जिसकी पहली परिक्रमा हनुमान जी महाराज को कराई जाएगी. हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञान दास जी के उत्तराधिकारी संकट मोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय दास जी महाराज ने कहा कि ये शाही जुलूस हनुमानगढ़ी के साथ-साथ पूरी दुनियां में रहने वाले भक्तों के लिए बहुत बड़ा ऐतिहासिक क्षण होगा.

क्या बोले हनुमान गढ़ी के महंत?

यह क्षण इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन पहली बार 52 बीघे के परिक्षेत्र से बाहर निकलकर जन्मभूमि परिसर में प्रवेश करेंगे. एक हजार से अधिक नागा साधु मां सरयू में पुण्य स्नान कर हनुमानजी के निशान के साथ शाही यात्रा में शामिल होंगे. गेट नंबर तीन और अंगद टीले के रास्ते से शाही जुलूस राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचेगा.

राम रक्षा स्तोत्र का होगा पाठ

अयोध्या धाम के 200 से अधिक स्थानों पर पुष्पवर्षा होगी और हेलीकॉप्टर से भी पुष्पों की वर्षा कर पूरे वातावरण को अलौकिक बनाया जाएगा. राम नगरी जय श्रीराम और जय बजरंगबली के नारों से गूंज उठेगी. गर्भगृह में हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन 10 मिनट तक रुककर “राम रक्षा स्तोत्र” का दिव्य पाठ करेंगे. इसके साथ ही हनुमानजी की गद्दी को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. यह क्षण अयोध्या के अध्यात्मिक इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.

श्रीरामलला को लगेगा 56 भोग

इसके बाद श्रीरामलला को भोग अर्पित किया जाएगा. 56 प्रकार के विविध भोग, जो प्रेम, भक्ति और समर्पण का जीवंत उदाहरण होंगे. तीन महीने से साधु-संतों की बैठकों में चली चर्चा और चारों पट्टियों के महंतों की सहमति से यह प्रस्ताव पारित हुआ. हनुमानगढ़ी के चारों पट्टियों के संत, महंत और हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे. यह आयोजन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक नई भक्ति क्रांति का आरंभ होगा. अयोध्या एक बार फिर साबित करेगी कि यहां के कण-कण में आज भी राम बसे हैं, और हनुमान जी की भक्ति आज भी जीवंत है.

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