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पंजाब सरकार का अहम फैसला, 1 मई से …

जालंधर/चंडीगढ़  : राज्य में डेंगू पर नियंत्रण के लिए सभी साझेदार विभागों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने आज एक बहुआयामी रणनीति की शुरुआत की, जिसमें इस वर्ष डेंगू के मामलों में 80 प्रतिशत कमी लाने के लिए जन जागरूकता बढ़ाना, सख्त प्रवर्तन और स्वास्थ्य सेवा तैयारियां शामिल हैं।

इस मौसम में डेंगू पर नियंत्रण के लिए सरकार की पहलों पर प्रकाश डालते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, जिला अस्पतालों, उप-मंडल अस्पतालों, सी.एच.सी., ई.एस.आई. अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मच्छरदानी के साथ डेंगू के लिए समर्पित बैड आवंटित किए गए हैं, जबकि 881 आम आदमी क्लीनिकों सहित सभी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में डेंगू और मलेरिया की मुफ्त जांच और उपचार जारी रहेगा।

डा. सिंह आज यहां पंजाब भवन में वैक्टर जनित रोगों पर राज्य टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति के महत्व पर भी बल दिया और सभी साझेदार विभागों को इन वैक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए अपने प्रयास बढ़ाने तथा जन जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्देश दिया। एक महत्वपूर्ण कदम पर प्रकाश डालते हुए, डा. बलबीर सिंह ने घोषणा की कि डेंगू पंजाब में एक अधिसूचित बीमारी है और इस महत्वपूर्ण सेवा तक सस्ती पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राज्य भर के निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में डेंगू परीक्षण की लागत 600 रुपए तक सीमित कर दी गई है।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों के बारे में बताते हुए डा. बलबीर सिंह ने कहा कि 50,000 नर्सिंग स्टाफ और 50,000 पैरामेडिकल स्टाफ को मच्छरों के लार्वा ब्रीडर चेकर्स के रूप में प्रशिक्षित किया गया है और ये कर्मचारी आगे संबंधित विभागों के अधिकारियों को लार्वा, प्रजनन स्थानों आदि की पहचान करने के बारे में प्रशिक्षित करेंगे।

‘हर शुक्रवार डेंगू से लड़ाई’ अभियान की प्रभावशीलता की प्रशंसा करते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि पिछले साल इस जागरूकता अभियान के बेहतरीन नतीजे सामने आए, जिसके तहत डेंगू के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई, जबकि डेंगू से संबंधित मौतों में 66 फीसदी की भारी कमी आई। इसके अलावा, 2024 में मलेरिया से संबंधित कोई मौत नहीं होगी। इस मीटिंग में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य कुमार राहुल, विशेष सचिव स्वास्थ्य-कम-एम.डी. एन.एच.एम. घनश्याम थोरी, निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डा. उपस्थित थे।

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