पहलगाम आतंकी हमले के गुनहगार अब तक फरार हैं. सुरक्षाबलों के खौफ से वे भागते फिर रहे हैं. उन्हें सेफ ठिकानों की तलाश है. 26 पर्यटकों की जान लेने वाले आतंकियों के मददगार भी सुरक्षाबल के रडार पर हैं और उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है. अब तक कई आतंकियों के घरों को ध्वस्त किया जा चुका है. इसी क्रम में पुलिस ने लश्कर के संदिग्ध आतंकी इम्तियाज अहमद को गिरफ्तार किया था, जिसकी बाद में मौत हो गई. उसकी मौत पर अब सियासत हो रही है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह घटना गंभीर सवाल उठाती है और उन्होंने अधिकारियों पर गड़बड़ी का आरोप लगाया. महबूबा और कई अन्य नेताओं के बयान के बाद सवाल उठता है कि क्या कश्मीर में फिर वहीं पुरानी जंग छिड़ गई है.
दरअसल जिस पुरानी जंग की हम बात कर रहे हैं वो आतंकियों और उनके हमदर्दों के लिए आवाज उठाना है. धारा 370 हटने से पहले तक कई सियासी दल आतंकियों के खिलाफ एक्शन पर सवाल उठाते थे. इतिहास के पन्नों में कई ऐसे कई मुठभेड़ भी दर्ज हैं जिनके फर्जी होने के आरोप भी लगे.
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