Local & National News in Hindi
ब्रेकिंग
सितंबर के बाद कर्नाटक में होगा बड़ा राजनीतिक बदलाव… सिद्धारमैया के मंत्री के बयान से अटकलें तेज दिल्ली पहुंचे MNM चीफ कमल हासन, कल लेंगे राज्यसभा सांसद की शपथ 19 साल बाद भी न्याय का इंतजार…मुंबई ब्लास्ट के आरोपियों के बरी होने बाद छलका मृतकों के परिवार का दर्... पंडित का नाम ‘कासिम’, मंदिर में कृष्ण बनकर रह रहा था; बस एक चूक से खुल गई पोल RSS और BJP के लिए अपनी सोच बदलनी होगी… मुसलमानों से फिरोज बख्त अहमद की अपील ‘स्कैनर सही काम कर रहा या…’, दुकानदार से मांगा मोबाइल, 1 रुपए ट्रांसफर करने के बाद उड़ाए 75 हजार विधानसभा में वीडियो गेम पर रमी खेलने वाले मंत्री क्या देंगे इस्तीफा? अटकलों के बीच अजित पवार ने कही ... जहां स्कूल का मर्जर किया वहीं खोलेंगे PDA की पाठशाला…यूपी सरकर पर भड़के अखिलेश 15 अगस्त को पटना मेट्रो की सौगात, जानें पहले चरण में क्या है इसका रूट? तिरुपति बालाजी मंदिर में दान में आए मोबाइल की ई-नीलामी, कैसे मिलेंगे?

संभल में जमा मस्जिद या हरिहर मंदिर? 1968 के गजेटियर में चौंकाने वाला खुलासा, इतिहासकार ने तस्वीर के साथ दिए सबूत

3

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के रहने वाले इतिहासकार डॉ अनुपम सिंह ने संभल की शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर मामले पर 1968 की गजेटियर को दिखाते हुए दावा किया. उन्होंने कहा कि पहले इस स्थान पर मंदिर हुआ करता था, जिसे बाद में मस्जिद बना दिया गया था. जो 1968 की अभिलेखों में दर्ज है. हालांकि अभी ये मामला कोर्ट में चल रहा है और विवादित है.

संभल की जमा मस्जिद अक्सर सुर्खियों में रहती है. जमा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया है. मस्जिद में मंदिर के निशान मौजूद होने का दवा किया जा रहा है. जब इस मामले को लेकर मुरादाबाद के इतिहास का डॉक्टर अनुपम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 1968 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के जिले का रजिस्टर जो तैयार किया गया था. इस सरकारी गजेटियर में संभल जामा मस्जिद के मुख्य परिषद की तस्वीर के ऊपर स्थित हरिहर मंदिर लिखा गया है. उनका कहना है कि कोर्ट में जो भी फैसला लिया जाएगा. उससे वह पूरी तरीके से सहमत होंगे. लेकिन सच्चाई जानने के लिए इतिहासकारों की मदद और पुरातत्व विभाग की टीम की मदद लेना जरूरी है.

1968 के गजेटियर में क्या है?

उत्तर प्रदेश में 1968 में राष्ट्रपति शासन लगा था. तब मुरादाबाद जिले का एक गजेटियर जारी किया गया था. इस एक गजेटियर आईएएस अधिकारी इशा बसंती जोशी ने तैयार किया था और उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद गवर्नमेंट प्रेस से 1968 में इसे पब्लिश कराया था. उस समय उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था, जो कांग्रेस के अधीन काम करता था.

गजेटियर की आखिरी कॉपी

डॉ अनुपम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास यह 1968 में प्रकाशित हुई मुरादाबाद जिले के गजेटियर की आखिरी कॉपी है. उन्होंने ये कॉपी इलाहाबाद से ली थी, जिसके आधार पर उन्होंने शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया है. हालांकि उन्होंने इस मामले को विवादित भी बताया और साथ ही ये भी कहा कि कोर्ट जो भी फैसला करेगा. वह उससे सहमत होंगे और उसका सम्मान करेंगे.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.