रवि प्रदोष व्रत का इस विधि से करें पारण, जीवन में बनी रहेगी खुशहाली!
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है, और जब यह रविवार के दिन पड़ता है तो इसे “रवि प्रदोष व्रत” कहा जाता है. रवि प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ सूर्य देव की भी पूजा की जाती है. इन दोनों देवों की संयुक्त कृपा से भक्तों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. यह व्रत व्यक्ति को समाज में नाम, यश और सम्मान दिलाता है. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी बनता है.
रवि प्रदोष व्रत में शाम के समय, जिसे “प्रदोष काल” कहा जाता है, भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इसमें शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है और “ॐ नमः शिवाय” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है. अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
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