गोरखपुर । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाकी बचे 3 चरणों के लिए प्रचार चरम पर पहुंच गया है। पूर्वांचल की सीटों के लिए घमासान में सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में भाजपा और सपा गठबंधन के नेताओं की परीक्षा होनी है। सपा और भाजपा से जुड़े कई ऐसा नेता हैं, जो अपनी जातियों के नाम पर सत्ता पाने का दम भर रहे है। इसमें से कई चुनावी मैदान में भी है, इसके अलावा इसमें कई नेता ऐसे हैं, जो भाजपा से अलग होकर सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। दरअसल, पांचवें से लेकर सातवें चरण में पिछड़े वर्ग के कई नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे अपने दलों को चुनावी वैतरणी पार करवाएं। कई नेता ऐसे हैं जो पिछले चुनाव में बीजेपी के साथ थे लेकिन इस बार वे साइकिल पर सवार हैं। इस लिस्ट में सबसे पहले सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की अगर बात करें तो वह 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन करके चार सीटों पर विजय हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी। वह मंत्री भी बने लेकिन कुछ दिनों बाद वह भाजपा से बागवत करके अलग हो गये और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राजभर पिछड़ी जातियों जैसे बिंद, कुम्हार, प्रजापति, कुशवाहा और कोइरी की राजनीति करते हैं। सपा ने उन्हें 18 सीटें दी है।
कुर्मी वोटों को बिखराव को रोकने के लिए भाजपा ने अनुप्रिया पटेल से अपना गठबंधन किया है। 2017 के चुनाव में वह 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं जिसमें उन्हें 9 पर कामयाबी मिली थी। इस बार भाजपा के सामने जातीय समीकरण से निपटने के लिए उसने अपना दल को भरपूर सीटें दी हैं। भाजपा इस बार अनुप्रिया को 17 सीटें दी है। उनके सामने इन सीटों को जीतने और अपने को कुर्मी नेता सिद्ध करने की बड़ी चुनौती है। उधर, खुद को निषादों का बड़ा नेता बताने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद की बात करें तो भाजपा ने उन्हे गठबंधन में 16 सीटें दी है। निषाद जाति का नेतृत्व करने वाले संजय निषाद का दावा है कि यूपी की 403 सीटों में से 160 पर निषादों का प्रभाव है। 2017 में निषाद पार्टी ने अपने सिंबल पर 72 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ ज्ञानपुर सीट पर ही जीत मिली थी। इस बार उन्हें भी अपने को बड़ा सिद्ध करने के लिए कड़ी परीक्षा गुजरना है।
इधर, पिछले चुनाव में भाजपा का साथ पाकर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान की बड़ी परीक्षा होनी है। दोनों नेता इस बार सपा के टिकट पर मैदान में है। सपा को ताकत देने के लिए अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल पक्ष में खड़ी हो गई हैं। अपना दल कमेरावादी ने सपा से गठबंधन किया है। उनकी बेटी पल्लवी पटेल डिप्टी सीएम केशव मौर्य के खिलाफ ताल ठोंक रही हैं। लखनऊ के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि बड़े दलों के साथ गठबंधन करने वाले छोटे दलों के नेताओं को अब सबसे बड़ी चुनौती से गुजराना पड़ेगा है।
Sign in
Sign in
Recover your password.
A password will be e-mailed to you.
Breaking
शिवहर: डेढ़ महीने के बेटे को कुदाल से काटा, पकड़ा गया तो बोला- उसमें राक्षस नजर आता था
'बीजेपी के डर से वायनाड में कांग्रेस ने नहीं लगाए झंडे', माकपा ने राहुल गांधी को घेरा
नामांकन के लिए 24 हजार रुपए की चिल्लर लेकर पहुंचा प्रत्याशी, आधे घंटे तक गिनते रहे मतदान कर्मी
मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर लोकसभा क्षेत्रों में BJP उम्मीदवारों का बहिष्कार करेंगे राजपूत
झोपड़ी में रहने वाले किसान के बेटे ने पास किया UPSC की परीक्षा, पवन ने हासिल की 239वीं रैंक, गांव मे...
सलमान खान के बाद अब दिग्गज नेता को मिली फोन पर धमकी, दाऊद इब्राहिम का नाम आया सामने
दिल्ली के LG ने जेल में बंद CM केजरीवाल को लिखा खुला पत्र, पानी की समस्या का किया जिक्र
चुनावी मैदान में वीरप्पन की बेटी विद्यारानी… पिता के सपने करना चाहती हैं साकार
मुख्यमंत्री डा. माेहन यादव बोले-जनता ने ठाना है, झूठे वादों के साथ नहीं, विकास के साथ कदम बढ़ाना है
भिंड में कांग्रेस को झटका, देवाशीष जरारिया ने पार्टी से दिया इस्तीफा