पूजा के दौरान पति-पत्नी एक साथ क्यों बैठते हैं, क्या है कारण?
हिंदू धर्म में पूजा के समय पति-पत्नी का एक साथ बैठना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है, जो पूर्ण रूप से दांपत्य सुख का प्रतीक है. विवाह को केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो आत्माओं का पवित्र बंधन माना जाता है. जब पति-पत्नी एक साथ पूजा करते हैं, तो उनकी शक्ति और भक्ति मिलकर पूर्णता प्राप्त करती है. अकेले की गई पूजा को अधूरा माना जाता है, क्योंकि एक हिस्सा (आधा शरीर) अनुपस्थित रहता है.
मान्यता है कि पति-पत्नी द्वारा मिलकर किए गए धार्मिक कार्यों का पुण्य फल दोगुना होता है और वह दोनों को समान रूप से प्राप्त होता है. इससे उनके संयुक्त कर्मफल (शुभ कर्मों का परिणाम) में वृद्धि होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि पति को कभी भी अपनी पत्नी के बिना पूजा में नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. यही बात पत्नी पर भी लागू होती है.
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