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दवा खरीद में बड़ा घपला? ₹285 का इंजेक्शन ₹2100 में खरीदा, भोपाल AIIMS में जांच को पहुंची टीम

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मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में दवाओं की महंगी कीमतों पर खरीद को लेकर उठे सवालों की जांच के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक विशेष टीम ने संस्थान का दौरा किया. टीम ने दवा खरीद से संबंधित दस्तावेजों की विस्तृत समीक्षा की और एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह समेत प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगभग चार घंटे तक बैठक कर पूरी खरीद प्रक्रिया की जानकारी जुटाई.

यह मामला भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने उठाया था. सांसद शर्मा, जो एम्स की स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी के सदस्य भी हैं, उन्होंने इस मुद्दे को 15 मई को दिल्ली स्थित निर्माण भवन में हुई बैठक में सामने रखा था. इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव भी मौजूद थीं.

₹285 का इंजेक्शन ₹2100 में खरीदा

सांसद आलोक शर्मा ने बताया कि उन्हें शिकायत प्राप्त हुई थी कि भोपाल एम्स द्वारा कैंसर की जेमसिटाबिन (Gemcitabin) इंजेक्शन की खरीद ₹2100 प्रति इंजेक्शन की दर से की गई, जबकि रायपुर एम्स में यही दवा ₹425 और दिल्ली एम्स में मात्र ₹285 प्रति इंजेक्शन में खरीदी गई थी. इसी तरह अन्य कई दवाओं की कीमतों में भी भारी अंतर पाया गया.

वित्तीय नियमों का उल्लंघन

सांसद शर्मा के अनुसार, दवा खरीद में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सामान्य वित्तीय नियमों (GFR 2017) का उल्लंघन किया गया है. आरोप है कि एम्स भोपाल ने आपातकालीन स्थितियों के लिए अनुमोदित अमृत फार्मेसी से ही पूरी दवा आपूर्ति करवाई, जबकि यह केवल सीमित और आपातकालीन खरीद के लिए अधिकृत है. अन्य एम्स संस्थानों में दवाओं की खरीद टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से की जाती है.

कोविड काल में शुरू हुई यह सीधी खरीद प्रक्रिया अब तक जारी है और इसके अंतर्गत होने वाला वार्षिक खर्च 25 करोड़ से बढ़कर 60 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि पहले यह आंकड़ा मात्र 10 से 15 लाख रुपये था. यह बढ़ोतरी संभावित वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की ओर संकेत करती है.

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