माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म क्या पहले से ही था निर्धारित?
हिंदू धर्म में माता पार्वती को प्रमुख देवियों में से एक माना जाता हैं, जो सारे जगत की जननी हैं. माता पार्वती को भगवान शिव की पत्नी और शक्ति का स्वरूप माना जाता है. वे प्रकृति, उर्वरता, दैवीय शक्ति, वैवाहिक आनंद, भक्ति और तपस्या की देवी हैं. माता पार्वती भगवान शिव की दूसरी पत्नी और देवी सती का पुनर्जन्म हैं. उनकी कथा शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, स्कंद पुराण और कालिदास के महाकाव्य ‘कुमारसंभव’ में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म पहले से ही निर्धारित था. यह एक दैवीय योजना का हिस्सा था, जो ब्रह्मांडीय संतुलन और विशेष रूप से भगवान शिव को गृहस्थ जीवन में लाने के लिए आवश्यक था, ताकि वे ताड़कासुर जैसे शक्तिशाली असुर का वध करने वाले पुत्र (कार्तिकेय) को जन्म दे सकें. यह कथा कई प्रमुख हिंदू धर्मग्रंथों, जैसे शिव पुराण, देवी भागवत पुराण और कालिका पुराण में विस्तार से वर्णित है.
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