Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1164

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1165

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1166

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1177
Local & National News in Hindi
ब्रेकिंग
एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, मस्कट से मुंबई आ रहा था विमान पाइप-नल पहनकर बिहार विधानसभा पहुंचे RJD विधायक, क्यों किया ऐसा विरोध-प्रदर्शन? कारगिल विजय दिवस के 26 साल… वीरगाथा से ऑपरेशन सिंदूर तक भारत का नया शौर्यपथ ऑपरेशन सिंदूर पर सोमवार को लोकसभा में राजनाथ करेंगे चर्चा की शुरुआत, 16 घंटे होगी बहस हजारों मील दूर के मुद्दों की जगह अपने देश पर ध्यान दें… गाजा नरसंहार मामले पर CPI-M को बॉम्बे हाईकोर... गजब! 90000 में खरीद कर लाया दुल्हन, 2 रही दूल्हे के साथ; तीसरे दिन जेवर-कैश लेकर फरार Bihar SIR: अब तक 99.86% वोटर किए गए कवर, 7.23 करोड़ मतदाताओं ने एसआईआर में जताया भरोसा: चुनाव आयोग लालू के परिवार में ‘गृहयुद्ध’ का आगाज! तेज प्रताप ने RJD और परिवार के लोगों को X पर किया अनफॉलो नेताओं की नमाज से राजनीति के केंद्र तक..दिल्ली की संसद वाली मस्जिद का इतिहास झालावाड़ स्कूल हादसा: 7 बच्चों की मौत के बाद एक्शन, 5 टीचर सस्पेंड; 34 बच्चे हैं घायल

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1164

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1165

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1166

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u304568464/domains/sunaminewstv.com/public_html/wp-content/themes/publisher/includes/libs/bs-theme-core/theme-helpers/template-content.php on line 1177

Panchayat 4: क्या इस बार भी वही जादू चला या फीका पड़ा? पढ़ें पंचायत का पूरा रिव्यू

2

पंचायत….अमेजन प्राइम वीडियो की वो वेब सीरीज है, जिसे देखकर शहरी लोग भी गांव की खटिया पर लेटे हुए बिसरे हुए रिश्तों की बातें करने लगते हैं. 8 साल से लगातार दर्शकों के दिलों पर राज करने वाला ये शो अपने चौथे सीजन के साथ लौट आया है. ‘पंचायत’ ने पहले तीन सीजन में दिखा दिया था कि बिना गालियों, ग्लैमर या बड़े-बड़े ट्विस्ट के भी एक कहानी कैसे लाखों दिलों को जीत सकती है. लेकिन, अब जब सीजन 4 मैदान में है, तो सवाल ये है कि क्या फुलेरा वालों ने इस बार दिल जीता या बस पुराना स्वाद ही चखाया? आइए बिना किसी लाग-लपेट के सीधे मुद्दे की बात करते हैं.

पहले तीनों सीजन ने अपनी पहचान एक ‘कंफर्ट वॉच’ के रूप में बनाई थी, जो धीमी गति से चलती थी लेकिन अपने किरदारों और उनके छोटे-मोटे झगड़ों से दर्शकों को बांधे रखती थी. सीजन 1 में अभिषेक का गांव से तालमेल बिठाना, सीजन 2 में प्रधानी चुनाव की गहमागहमी और बनराकस का बढ़ता दबदबा, और सीजन 3 में प्रधान जी पर हमले का प्लॉट हर सीजन में कुछ खास था, जो कहानी को आगे बढ़ाता था. सीजन 4 में भी ये सब कुछ है, लेकिन क्या इस बार भी वो नयापन है, जो पिछले सीजन में था? इसका जवाब है – थोड़ा हां, थोड़ी ना!

एक्टिंग

पंचायत के सभी कलाकारों ने इस सीजन में भी अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीता है. जितेंद्र कुमार अभिषेक त्रिपाठी के रूप में हमेशा की तरह शानदार हैं. उनकी स्क्रीन पर दिख रही चिंता और उनका ‘स्लो-बर्न’ रोमांस गांव के शांत माहौल से बिल्कुल मैच करता है. रघुबीर यादव प्रधान जी के किरदार में थक चुके हैं, लेकिन अनुभवी नेता के रूप में फिर से प्रभावशाली नजर आते हैं. नीना गुप्ता ने मंजू देवी के रूप में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बखूबी दर्शाया है. विकास (चंदन रॉय) और प्रल्हाद (फैसल मलिक) हमेशा की तरह ईमानदारी से अपना काम करते हैं. दूसरी तरफ, भूषण, बिनोद और माधव और क्रांति देवी ने भी उनका पूरा साथ दिया है .

क्या पसंद आया

  • सादगी और देसी चार्म

गांव की मिट्टी से जुड़ी कहानियां, आम आदमी की परेशानियां और गांव की चौपाल पर होने वाली बातें, ये सब ‘पंचायत’ की नींव है. सीजन 4 में भी ये सादगी पूरी तरह से बरकरार है. आप शहरी भाग-दौड़ से निकलकर फुलेरा की शांत गलियों में खो जाते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि इस बार कुछ बड़ा तमाशा होगा, तो जनाब, ये ‘पंचायत’ है, कोई हॉलीवुड फिल्म नहीं! यहां सुकून मिलेगा, धमाका नहीं.

  • किरदारों का जादू

जितेंद्र कुमार (अभिषेक त्रिपाठी), रघुबीर यादव (प्रधान जी), नीना गुप्ता (मंजू देवी), चंदन रॉय (विकास) और फैसल मलिक (प्रहलाद) ये किरदार अब सिर्फ ऑनस्क्रीन कैरेक्टर नहीं, बल्कि हमारे घर-परिवार के लोग बन गए हैं. इनसे हमारा इमोशनल कनेक्शन इतना गहरा है कि चाहे कहानी कितनी भी धीमी रफ्तार से चले, इन्हें देखना नहीं छोड़ सकते. इनकी नोक-झोंक, एक-दूसरे के लिए फिक्र, और वो हंसी के पल… सब कुछ दिल को छू जाते हैं.

  • रोजमर्रा की जिंदगी की झलक

ये शो किसी फैंसी प्लॉट के पीछे नहीं भागता. यहां बात होती है गांव की छोटी-मोटी मुश्किलों की – कभी नल के पानी की, कभी बिजली के बिल की, कभी किसी की शादी की. यह रोज़मर्रा की जिंदगी की झलक है, जो इसे बेहद असली और रिलेटेबल बनाती है.

क्या है खामियां

  • नयेपन की कमी

इस सीजन में ऐसा लगता है कि मेकर्स अपनी ‘पंचायत’ वाली पहचान से थोड़ा बाहर निकलने से कतरा रहे हैं. कहानी में नया ट्विस्ट या कोई बड़ा बदलाव लाने के बजाय, वो उन्हीं पुराने पैटर्न पर चल रहे हैं. अगर आप तीन सीजन से देखते आ रहे हैं कि गांव की राजनीति में कैसे छोटे-छोटे दांव-पेच चलते हैं, तो यहां भी वही है. नयापन बहुत कम है, जैसे पुराने गाने की रिमिक्स सुनकर लगता है ‘मजा तो आया, पर ओरिजिनल जैसा नहीं!’

  • स्लो मोशन में चल रही है कहानी

‘पंचायत’ की धीमी गति उसकी खासियत है, लेकिन इस बार कई एपिसोड्स में ये सीरीज थोड़ी ज्यादा ही धीमी लगती है. ऐसा लगता है कि कहानी आगे बढ़ने के बजाय वहीं अटकी हुई है. अगर आप वो दर्शक हैं, जो हर एपिसोड में कुछ बड़ा होते देखना चाहते हैं, तो ‘पंचायत 4’ आपके धैर्य (पेशंस) की परीक्षा ले सकता है.

  • क्रिएटिविटी में नहीं है दम

कुछ जगहों पर, खास तौर पर पांचवें एपिसोड में मंजू देवी के पिता से जुड़ा सबप्लॉट, थोड़ा खींचा हुआ और बेमतलब लगता है. ऐसा लगता है जैसे बस एक एपिसोड भरना था, तो भर दिया. यह उप-कहानी मुख्य प्लॉट में कोई खास योगदान नहीं देती और थोड़ी बोझिल लगती है.

देखें य न देखे

कुल मिलाकर, ‘पंचायत सीजन 4’ एक ‘कंफर्ट वॉच’ है. इसमें भले ही बाहुबली’ वाले ट्विस्ट या धड़ाके नहीं मिलेंगे, लेकिन ये सीरीज आपको लोगों की सच्ची मुश्किलों और इमोशंस वाली दुनिया में ले जाती है. अगर आप सुकून भरी, हल्की-फुल्की और जमीनी कहानियों के शौकीन हैं, तो ये सीजन आपको निराश नहीं करेगा. बस, बहुत ज्यादा उम्मीद न करें.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.