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‘कोर्ट रूम की लाइट बंद कीजिए, अंधेरे में सुनवाई होगी…’ जज साहब ने क्यों किया ऐसा, क्या है पूरा मामला?

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4 मई को नीट यूजी 2025 की परीक्षा का आयोजन हुआ था और 14 जून को एनटीए की ओर से इसका रिजल्ट भी जारी कर दिया गया. परीक्षा के दौरान मध्य प्रदेश के इंदौर में आंधी के साथ तेज बारिश हुई थी, जिस वजह से बिजली गुल हो गई थी. ऐसे में परीक्षा केंद्रों पर अंधेरा हो गया था और अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था. इसी के चलते 75 छात्रों ने कोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने की याचिका दाखिल की और दोबारा परीक्षा कराने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने अंधेरे में सुनवाई की.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने छात्रों की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में 13 मिनट तक अंधेरा कर दिया. उन्होंने कहा कि ये जानने के लिए लाइट बंद कराई गई हैं कि अंधेरे में काम किया जा सकता है या नहीं. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि बारिश की वजह से लाइट चली गई थीं और अंधेरे की वजह से वह ठीक से परीक्षा नहीं दे पाए. इसलिए उन्होंने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की थी, जिस पर अब कोर्ट ने अंधेरे में सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने किया विरोध

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि परीक्षा केंद्रों पर कोई बैकअप व्यवस्था नहीं थी. बारिश और आंधी की वजह से खिड़कियां भी बंद कर दी गई थीं. अंधेरे में पढ़ाई करना मुश्किल है तो छात्रों ने परीक्षा कैसे दी होगी? छात्रों की याचिका का नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने विरोध किया. उनकी ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वर्चुअली दलीलें पेश की. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि परीक्षा का रिजल्ट बेहतर आया है. यहां तक की जिन परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल हुई. वहां से परीक्षार्थी पास हुए हैं.

13 मिनट तक लाइटों को बंद करा दिया

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने परीक्षा को दोबारा करने की मांग वाली याचिका खारिज करने की बात कही. दोनों पक्षों की दलीलें कोर्ट में अंधेरे में ही सुनी गईं. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने 13 मिनट तक लाइटों को बंद कराकर रखा, जिससे पता चल सके कि अंधेरे में काम करना कितना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि कोर्ट रूम की लाइट बंद किजिए. अंधेरे में सुनवाई होगी. हम देखना चाहते हैं कि बिना लाइट के कितनी परेशानी होती है. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने फैसला सुरक्षित रखने के बाद लाइटें ऑन कराईं.

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी अनोखी सुनवाई

इस तरह के अनोखे तरीकों से पहले भी इंदौर में सुनवाई हो चुकी है. एक बार बिल्डिंग नीलामी के मामले में कोर्ट ने परिसर में बोली लगवा दी थी. एक बार मारपीट के मामले में व्यापारी पर केस करा दिया गया था. वहीं बीआरटीएस के मामले में सुनवाई के दौरान तत्कालीन जस्टिस एनके मोदी और पीके जायसवाल ने कार से पूरा 11 किमी का कॉरिडोर घूम कर देखा था.

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