Local & National News in Hindi

SC का सख्त आदेश: पैदल चलने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करें राज्य सरकारें, फुटपाथों के लिए बनाएं कड़े नियम

34

सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी एक लंबे समय से चली आ रही रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़कों और फुटपाथों पर पैदल चलने वालों की सुरक्षा को लेकर कई अंतिम निर्देश जारी किए हैं. इनमें हेलमेट पहनना, गलत लेन में गाड़ी चलाना और कारों पर अनाधिकृत हूटर बजाना शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़क सुरक्षा के हित में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138(1ए) के तहत नियम बनाने का निर्देश दिया है, ताकि सार्वजनिक स्थानों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर बिना मोटर से चलने वाले वाहनों और पैदल चलने वालों की गतिविधियों और पहुंच को विनियमित किया जा सके.

ये निर्देश जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की बेंच ने दिए हैं. राज्य सरकारों को 6 महीने का समय दिया गया है.

मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138(1ए) राज्यों को सार्वजनिक स्थानों पर बिना मोटर के चलने वाले वाहनों और पैदल चलने वालों की आवाजाही को रेगुलेट करने के लिए सड़क सुरक्षा नियम बनाने का अधिकार देती है. इसमें यह भी कहा गया है कि यदि राज्य नेशनल हाईवे के संबंध में ऐसे नियम लागू करना चाहते हैं, तो उन्हें नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के परामर्श से तैयार किया जाना चाहिए.

धारा 210डी के अनुसार, राज्य सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों के लिए डिजाइन, निर्माण और रखरखाव मानकों के नियम बना सकती हैं. इसी को लेकर कोर्ट ने अब ऐसे नियम छह महीने के भीतर बनाने का आदेश दिया है.

यह आदेश 2012 में कोयंबटूर के एक हड्डी रोग विशेषज्ञ द्वारा दायर एक याचिका पर दिया गया. उन्होंने भारत में होने वाली बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताई थी. याचिकाकर्ता ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को कोऑर्डिनेट प्रयास करने के निर्देश देने की मांग की थी.

इसके अलावा उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की जान के खतरे और चोटों को कम करने के लिए दुर्घटना के बाद की सुविधाओं में भी सुधार के निर्देश मांगे थे.

पिछले कुछ सालों में न्यायालय ने इस मामले में कई निर्देश दिए हैं, जिनमें एक संचालन समिति का गठन और मोटर वाहन अधिनियम, विशेष रूप से धारा 136ए (इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और सड़क सुरक्षा का प्रवर्तन) को लागू करना शामिल है.

पिछले साल अगस्त में न्यायालय ने ये भी कहा था कि वो सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा देने की सुविधा के लिए स्टेट और सेंट्रल पोर्टल बनाने के निर्देश देने पर भी विचार करेगा.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.