भोपाल : मध्यप्रदेश में ब्राम्हण समाज की बेटियों पर अभद्र टिप्पणी करने वाले IAS अधिकारी संतोष वर्मा को बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आईएएस पर कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं. मुख्यमंत्री के आदेश पर राज्य शासन आईएएस संतोष वर्मा को बर्खास्त करने के लिए केन्द्र को पत्र भेजने जा रही है. वहीं, गुरुवार रात आईएएस वर्मा को कृषि विभाग से भी हटा दिया गया है. उधर इस मामले को लेकर 65 ब्राम्हण संगठनों द्वारा 12 दिसंबर से तीन दिवसीय आंदोलन शुरू किया जा रहा था.
IAS वर्मा ने फर्जी तरीके से पाया प्रमोशन, कई मामले कोर्ट में
आईएएस संतोष वर्मा के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा संज्ञान लिया गया है. मुख्यमंत्री के आदेश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने संतोष वर्मा को भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भेजने की तैयारी शुरू कर दी है. बर्खास्तगी का आधार संतोष वर्मा द्वारा नौकरी के लिए लगाए गए जाली और फर्जी दस्तावेज को बनाया जा रहा है. फर्जी दस्तावेजों के जरिए संनिष्ठा प्रमाण पत्र पाने और नौकरी पाने के मामले की जांच विभागीय स्तर पर चल रही थी, जो अंतिम चरण में है. इसके अलावा संतोष वर्मा के खिलाफ न्यायालयीन प्रकरण भी चल रहे हैं.

जज के फर्जी हस्ताक्षर से कूटरचित दस्तावेज तैयार करवाने और प्रमोशन पाने सहित कई मामलों में अदालतों में आईएएस पर आपराधिक प्रकरण लंबित चल रहे हैं. धोखाधड़ी के आधार पर प्रमोशन को अवैध मानते हुए सामान्य प्रशासन विभाग केन्द्र को प्रस्ताव भेज रहा है.
शासन ने भेजा था नोटिस, जवाब से असंतुष्ट
मामले की विभागीय जांच के दौरान राज्य शासन ने संतोष वर्मा को कारण बताओ नोटिस भेजकर उनसे जवाब तलब किया था. संतोष वर्मा द्वारा भेजे गए जवाब से राज्य शासन संतुष्ट नहीं है. उधर आईएएस जैसे जिम्मेदार पद रहते हुए उनके द्वारा सार्वजनिक रूप से दिए गए बयान को भी पद के विरूद्ध माना गया है. राज्य शासन आईएएस संतोष वर्मा को चार्जशीट भी जारी करने जा रही है.
शासन ने पद छीना, नहीं दी कई जिम्मेदारी
गुरुवार रात को राज्य शासन ने संतोष वर्मा को कृषि विभाग के उप सचिव पद से हटा दिया है, उन्हें जीएसडी के पूल में भेजा गया है. उनके पास किसी भी विभाग की जिम्मेदारी नहीं होगी और न ही कोई काम दिया जाएगा. इसके बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी.
IAS वर्मा को विवादित बयान पड़े भारी, हाईकोर्ट पर भी टिप्पणी
विवादों में रहे आईएएस संतोष वर्मा को अजाक्स के सम्मेलन में ब्राम्हण बेटियों पर की गई टिप्पणी भारी पड़ गई. इस बयान के बाद वे विवादों में घिर गए हैं. उन्होंने बयान को लेकर माफी भी मांगी, लेकिन उसके बाद फिर नया विवादित बयान दे दिया. अजाक्स सम्मेलन में उन्होंने कहा, ” एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज कोई और नहीं, बल्कि हाईकोर्ट नहीं बनने दे रहा है. हाईकोर्ट वह संस्था है, जिससे बाबा साहब के संविधान के हिसाब से चलने की गारंटी मांगी जाती है.”
ब्राम्हण संगठनों ने दी थी आंदोलन की चेतावनी
उधर वर्मा की विवादित टिप्पणी के बाद से ब्राम्हण संगठनों द्वारा लगातार आईएएस पर कार्रवाई की मांग की जा रही थी. संगठनों ने 12 दिसंबर से तीन दिवसीय आंदोलन का ऐलान किया था. इसके तहत 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास घेराव की चेतावनी दी थी.
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