मंडला : मंडला से एक बेहद खूबसूरत और मनमोहक नज़ारा इन दिनों देखने को मिल रहा है. ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ ही नर्मदा नदी के किनारे सफेद रंग के आकर्षक पक्षियों की बड़ी संख्या दिखाई देने लगी है. ये कोई साधारण पक्षी नहीं, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर साइबेरिया से आए प्रवासी पक्षी सीगल हैं, जो हर साल सर्दियों में भारत की ओर रुख करते हैं.
इंसानों से नहीं डरते सीगल पक्षी
नर्मदा जी के घाटों पर इन दिनों सीगल पक्षियों की भारी आमद देखी जा रही है. मंडला जिले की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां इन पक्षियों के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती हैं. साफ जल, पर्याप्त भोजन और शांत वातावरण के कारण ये पक्षी नर्मदा घाटों को अपना अस्थायी बसेरा बना लेते हैं. इन प्रवासी पक्षियों की सबसे खास बात यह है कि ये इंसानों से बिल्कुल भी नहीं डरते.
स्थानीय लोग बताते हैं कि जैसे ही इन्हें आवाज देकर बुलाया जाता है, ये तुरंत इंसानों के पास आ जाते हैं. यह दर्शाता है कि सीगल पक्षी बेहद बुद्धिमान होते हैं और इंसानी आवाज़ को पहचानने की अद्भुत क्षमता रखते हैं.
पक्षी विशेषज्ञ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि “नर्मदा नदी में जो ये पक्षी विचरण करते हुए दिखाई दे रहे हैं, ये सभी साइबेरियन सीगल हैं. ये पक्षी सर्द मौसम में लंबी यात्रा तय करके उन क्षेत्रों में आते हैं, जहां का वातावरण इनके लिए अनुकूल होता है. मंडला जिले में नर्मदा नदी की जो भौगोलिक स्थिति है, वह इन पक्षियों के अनुकूल है और इसी कारण ये यहां आसानी से खुद को ढाल लेते हैं. सीगल पक्षी अपनी खूबसूरत बनावट के लिए भी जाने जाते हैं.
इनका रंग पूरी तरह सफेद होता है, जो बेहद साफ और चमकदार दिखाई देता है. इनकी चोंच पीले रंग की होती है, जो इन्हें अन्य पक्षियों से अलग पहचान देती है. नर्मदा के नीले जल और घाटों की पृष्ठभूमि में जब ये सफेद पक्षी उड़ान भरते हैं, तो दृश्य अत्यंत आकर्षक हो जाता है.”
गर्मी बढ़ने पर अपने मूल स्थान साइबेरिया लौट जाते हैं सीगल
स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों के लिए ये प्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. लोग नर्मदा घाट पर आकर इन पक्षियों को निहारते हैं, उनके साथ तस्वीरें लेते हैं और प्रकृति की इस अनोखी देन का आनंद उठाते हैं. हालांकि, ये पक्षी यहां केवल कुछ महीनों के लिए ही रुकते हैं. जैसे ही सर्दी का मौसम समाप्त होता है और गर्मी बढ़ने लगती है, सीगल पक्षी एक बार फिर लंबी उड़ान भरकर अपने मूल स्थान साइबेरिया की ओर लौट जाते हैं.
वहीं, महाराजपुर बंजर नदी और नर्मदा नदी के संगम घाट पर नाव चलाने बाले नाविक भोला नंदा ने बताया कि “ये जो पक्षी हैं किसी दूसरे देश से हमारे यहां मेहमान बन कर दीपावली के बाद आते हैं और जैसे ही गर्मी का मौसम आता है ये अपने देश वापस चले जाते हैं. हम लोगों को इनसे विशेष लगाव होता है. इनको आवाज देने पर पास में आ जाते हैं. हम इनको बेसन की बनी सेव खिलाते हैं. इस समय मां नर्मदा में इनके आने से अलग ही बहार है.”
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