Local & National News in Hindi

भविष्य में तकनीकी ही तय करेगी युद्ध की दिशा और दशा: जनरल वीपी मलिक

13

इंदौर: न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के एनएसआईकॉन 2025 के चौथे दिन राष्ट्रीय सेमिनार में रिटायर्ड जनरल वेद प्रकाश मलिक पहुंचे, जहां उन्होंने कारगिल युद्ध से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक भारतीय युद्ध तकनीकी और सेना के जज्बे का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने भारतीय सैन्य क्षमता और तकनीकी रूप से विकसित होती देश की सामरिक स्थिति पर भी चर्चा की.

जवान का जज्बा और जुनून विजयी बनाता है

जनरल वी पी मलिक ने सैनिकों के साहस और जीतने के जज्बे के बारे में बात करते हुए कहा कि “कारगिल युद्ध में जवानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन देश के जवान चुनौतियों के सामने घुटने नहीं टेके. चाहे उसके पास लड़ने के लिए कोई संसाधन मौजूद ना हो, लेकिन जवानों के जीतने का जज्बा और जुनून ही उसे मैदान में विजयी बनाता है. इसी जज्बे से हम कारगिल युद्ध जीते.”

कारगिल युद्ध में हथियार और तकनीक विदेशों से मांगनी पड़ी

जनरल मलिक ने आगे कहा कि “कारगिल के दौर में हमें कई महत्वपूर्ण हथियार और तकनीक विदेशों से मंगानी पड़ती थी, जबकि आज भारत रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय आत्मनिर्भरता हासिल कर चुका है. कारगिल युद्ध के ऑपरेशन विजय के दौरान हजारों घायल सैनिकों को भर्ती किया गया था, जिनमें से केवल 10-15 की मृत्यु हुई थी. यह आंकड़ा सैन्य चिकित्सा की दक्षता और समर्पण का परिचायक है. ऑपरेशन सिंदूर में भी उसी जज्बे से हम लड़े, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से हमें विजय मिली, क्योंकि समय के साथ हमें अपने जीवन में नई-नई टेक्नोलॉजी को अपनाना भी जरूरी है.”

200 से अधिक शोध पत्रों पर हुई चर्चा

गौरतलब है कि आयोजन के चौथे दिन 200 से अधिक शोध पत्रों पर चर्चा हुई. इस बार की थीम ब्रेन और स्पाइन देखभाल में चुनौतियों पर विजय और इसी को ध्यान में रखते हुए आयोजन में न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन को प्रोत्साहित करने के लिए जनरल वी.पी मलिक को आमंत्रित किया गया था.

विशेषज्ञों ने ब्रेन इंजरी और ट्रॉमा मैनेजमेंट पर अनुभव साझा किया

राष्ट्रीय सेमिनार में शुरू के 3 दिनों तक वैज्ञानिक सत्रों में स्कल बेस सर्जरी से जुड़े नवीन शोध प्रस्तुत किए गए. विशेषज्ञों ने बताया कि कम चीरे वाली सर्जरी और तेज रिकवरी अब आधुनिक न्यूरो सर्जरी की पहचान है. भारतीय सशस्त्र बलों के न्यूरोसर्जनों ने युद्धकालीन परिस्थितियों में ब्रेन इंजरी और ट्रॉमा मैनेजमेंट पर अपने अनुभव साझा किए. जो सैन्य और नागरिक चिकित्सा के बढ़ते सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण बना.ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. वसंत डाकवाले ने कहा कि “आज के स्पेशल वक्ता जनरल वी.पी मलिक ने सभी डॉक्टरों को प्रोत्साहित किया और सभी डॉक्टरों को भी सैनिकों की तरह ही जीतने का जज्बा रखना चाहिए. कभी भी चुनौतियों से नहीं हारना चाहिए और समय के साथ टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए. न्यूरोसर्जरी अब सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि विज्ञान, अनुभव और संवेदना का संतुलित समन्वय है.”

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.