बस्तर: अबूझमाड़ की पहचान कभी नक्सलगढ़ के रुप में हुआ करती थी. अब ये पहचान तेजी से बदल रही है. अब नक्सलगढ़ की पहचान मेहनतकश किसान और खिलाड़ी के गढ़ के रुप में हो रही है. यहां के खिलाड़ियों ने बस्तर ओलंपिक में इस बात को स्थापित भी कर दिया है. मैदान चाहे तीरंदाजी का हो या फिर मलखंभ का यहां के खिलाड़ी सिर्फ जीत पर निशाना लगाना जानते हैं. अबूझमाड़ के होनहार खिलाड़ी आज देश के कोने कोने में जाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.
बस्तर ओलंपिक 2025
बस्तर ओलंपिक 2025 के समापन समारोह में भी अबूझमाड़ की मलखंभ टीम ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. जगदलपुर इंदिरा स्टेडियम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने इस टीम ने शानदार प्रदर्शन कर सबका दिल जीत लिया. खिलाड़ियों ने एक से बढ़कर प्रतिभा का प्रदर्शन कर लोगों की तालियां बटोरी.
अबूझमाड़ की मलखंभ टीम है देशभर में फेमस
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ से निकली मलखंभ की टीम ने राष्ट्रीय स्तर में आयोजित रियालिटी शो 2023 इंडियाज गॉट टैलेंट के 10 सीजन में भाग लिया था. फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम विजेता भी बनी. टीम को जीत के रुप में ट्रॉफी के साथ 20 लाख नकद इनाम भी मिला. टीम को इनाम के तौर पर एक कार भी भेंट की गई. इस जीत के साथ अबूझमाड़ की मलखंभ टीम पूरे देश में फेमस हो गई. कहते हैं कि अबूझमाड़ का जंगल अबूझ है. लेकिन इस अबूझ जंगल से निकले इन बच्चों को आज पूरा देश जानता है. इनके हुनर और खेल की सराहना करता है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने अपने खेल का प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों से ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.
देश ने दिया सम्मान
खिलाड़ी नरेंद्र कुमार गोटा कहते हैं कि हमें कुछ भी जानकारी मलखंभ के विषय मे नहीं थी. लेकिन कोच मनोज उनके पास पहुंचे और उनको मलखंभ की जानकारी दी. उनको सिखाया और मलखंभ जैसे कठिन खेल में उनको पारंगत कर दिया. उनकी प्रतिभा को ऐसा निखारा कि वो आज पूरे देश में अपने खेल के जरिए जाने जाते हैं. नरेंद्र गोटा कहते हैं कि मलखंभ में एलिमेंट होता है, जम्प होता है, एग्रोबेटिक होता है, डांस भी होता है. इंडियाज गॉट टेलेंट में सफलता के झंडे गाड़ने के बाद टीम की चाहत है कि वो अमेरिका गॉट टैलेंट में भाग लें. हाल ही में इनकी टीम ने रोमानिया का दौरा भी किया है.
खिलाड़ी राकेश कुमार वरदा ने कहा, अबूझमाड़ के बीच मौजूद कुतुल इलाके से वो आते हैं. जहां हमेशा माओवादियों की मौजूदगी रहती थी. इस क्षेत्र में लोग जाने से डरते थे. किसी बाहरी व्यक्ति को गांव तक जाने की अनुमति नहीं थी. लेकिन अब स्थिति बदल रही है. मैं 2014 में वहां से निकला और इस खेल के जरिए अपनी पहचान गढ़ रहा हूं.
मलखंभ खिलाड़ी युवराज सोम ने बताया कि उन्हें बस्तर ओलंपिक में शो करने के लिए बुलाया गया. काफी अच्छा लग रहा है. फिलहाल अभी एक ही लक्ष्य है कि अमेरिका गॉट टैलेंट जीतना है. वहां से ट्रॉफी लेकर आना है. इंडिया को रिप्रजेंट करना है. इंडिया का झंडा ऊंचा करना है.
प्रतिभा को मिला मुकाम
बस्तर के युवाओं में काफी टैलेंट है, जरुरत बस उसे निखारने की है. इस खेल से जुड़े खिलाड़ी और कोच कहते हैं कि बस्तर की पहचान सिर्फ नक्सलियों से नहीं बल्कि खेल और खिलाड़ियों से भी है. यहां के खिलाड़ी अब इस बस्तर की नई पहचान को गढ़ने का काम कर रहे हैं.
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