धमतरी: शहर के टैक्सी और ऑटो संघ के संचालक इन दिनों गंभीर परेशानी से जूझ रहे हैं. दरअसल, शहर के कई चौक चौराहों सहित अन्य जगहों पर ट्रैफिक विभाग ने ऑटोमेटिक कैमरे लगाए हैं. इन ऑटोमैटिक कैमरों के माध्यम से फिटनेस और इंश्योरेंस को लेकर लगातार ऑनलाइन चालान भी काटे जा रहे हैं.
ऑनलाइन चालान से ड्राइवर परेशान
गाड़ी मालिकों और ड्राइवरों का कहना है, जब चालक आरटीओ कार्यालय जाकर इंश्योरेंस और फिटनेस बनवाते हैं तो परमिट न होने के कारण उनकी समस्या फिर जस की तस बनी रहती है. चालकों का ये कहना है कि जब विभाग परमिट जारी नहीं कर रहा तो इंश्योरेंस और फिटनेस के नाम पर शुल्क क्यों लिया जा रहा. विभाग की वजह से उनको दोहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
हजारों का काटा जा रहा चालान
गाड़ी मालिका का आरोप है कि एक ही दिन में 8 हजार से लेकर 60 हजार तक के चालान कट रहे हैं. पीड़ितों की शिकायत पर संबंधित विभाग ने लोगों से कहा कि वो इस मामले के समाधान के लिए रायपुर जाएं. ऐसे में पीड़ित ड्राइवरों की परेशानी और बढ़ गई है.
ट्रैफिक विभाग से मांग
सैयद आसिफ अली कहते हैं कि वो सालों से किराए पर टैक्सी चलवाने का काम करते हैं. शहर में जो नई व्यवस्था कैमरे के जरिए लगाई गई है वो उससे नाराज हैं. सैयद कहते हैं कि उनको साल 2023 से लेकर अबतक का चालाना भेजा रहा है, ये न्याय संगत नहीं है. सैयद कहते हैं कि इसपर ट्रैफिक विभाग को ध्यान देना चाहिए. अगर चालान 15 दिनों के भीतर को हो तो समझ आता है. सैयद ये भी बताते हैं कि एक-एक दिन का चालान किसी का 8 हजार से 10 हजार तो किसी का 30 हजार तक का चालान भेजा जा रहा है. इस पर रोक लगाया जाना चाहिए, ये लूट की तरह है. शासन-प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए. सही मायने में जो चालान हो सकता है या फिर जो कागज हमें बना कर दे सकते हैं, वह हमें दे.
हमको कागज बनवाने में कोई तकलीफ नहीं है. सरकार बोलती है कि फिटनेस बनवाओ. आरटीओ विभाग बोलती है कि आप फिटनेस और बीमा बनवाओ. लेकिन परमिट को बनाकर नहीं देती. जबकि परमिट 500 का है और फिटनेस 40 हजार का है. पैसा कमाने के लिए फिटनेस बनवाओ कहा जा रहा है. लेकिन हमारे पास परमिट नहीं है तो हम बिना कागज के हो गए. जो कैमरा है वह चालान देता रहेगा. 70 से 80 लोगों का चालान कटा है: सैयद आसिफ अली, टैक्सी संचालक
टैक्सी चालक संघ ने उठाई मांग
टैक्सी चालक पन्नालाल देवांगन कहते हैं कि वह 20 सालों से टैक्सी लाइन से जुड़े हैं. टैक्सी चलाकर ही वो अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. पन्नालाल कहते हैं कि कहा कि वे पूरा पेपर बनवाने के लिए तैयार हैं. लेकिन सरकार पूरा पेपर बनाकर नहीं दे रही. ऐसे में हम पेपर किस हिसाब से बनवाएं. 20 से 25 हजार का हमारा इंश्योरेंस लगता है. ऐसे करके साल में हमें 40 हजार लगता है. आधे पेपर में भी ई-चालान कटेगा ही. ई-चालान हो रहा है उसका चालान पटाने हमें रायपुर जाना पड़ेगा. ऐसे में यहां जिले में आरटीओ का रखने का मतलब क्या है. रोज ई-चालान कट रहा है उसके बाद भी रोड किनारे चार अधिकारी और बैठे रहते हैं वह भी चालान काटेंगे. सरकार हमें बता दे कि टैक्सी वाले अपना घर बेचें कि क्या बेचें. हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
टैक्सी चालक संघ और टैक्सी चलाने वाले लोगों ने ये सारे मुद्दे शनिवार को शहर में लगे लोक अदालत के सामने कही. चालक संघ का कहना है कि उनको उचित न्याय मिले नहीं तो वो चालान पटाते पटाते बर्बाद हो जाएंगे.
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