नकली दवा का बड़ा रैकेट! गाजियाबाद में 8वीं फेल ने बनाई फैक्ट्री, पेन रिलीफ और स्किन केयर की नकली दवाओं से कमाई, मास्टरमाइंड तक कैसे पहुंची पुलिस?
दिल्ली पुलिस की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने रविवार को गाजियाबाद के लोनी में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. साथ ही पुलिस ने दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है. हैरान करने वाली बात यह है कि ये दोनों आरोपी 8वीं फेल हैं. इन्होंने यूट्यूब से दवाई बनाना सीखा. इस अवैध फैक्ट्री में नकली दवाएं तैयार की जाती थीं और दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में सप्लाई की जाती थीं. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान श्रीराम उर्फ विशाल गुप्ता और गौरव भगत के रूप में हुई है.
उत्तरी दिल्ली के सदर बाजार इलाके में नकली दवाओं की बिक्री की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने बीते गुरुवार को तिलिवाड़ा में छापा मारा था. तिलिवाड़ा, दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों का एक बड़ा थोक बाजार माना जाता है. यहां एक गोदाम से भारी मात्रा में नकली मलहम बरामद की गईं. पुलिस के अनुसार, जब्त की गई दवाओं में बेटनोवेट-सी और क्लॉप-जी जैसी लोकप्रिय मलहम शामिल थीं, जिनका उपयोग आमतौर पर खेल से जुड़ी चोटों और त्वचा संबंधी एलर्जी के इलाज में किया जाता है.
बिना लाइसेंस की चल रही थी दवा फैक्ट्री
जांच को आगे बढ़ाते हुए एसीपी अनिल शर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने शुक्रवार को गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र के मीरपुर हिंदू गांव में स्थित एक निर्माण इकाई का पता लगाया. यहां से भारी मात्रा में नकली दवाएं, पैकिंग सामग्री, कच्चे रसायन और दवाएं बनाने की मशीनरी जब्त की गई. दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा के उपायुक्त आदित्य गौतम ने बताया कि यह पूरी फैक्ट्री बिना किसी वैध लाइसेंस के संचालित की जा रही थी.
छापेमारी के दौरान दिल्ली और उत्तर प्रदेश के ड्रग इंस्पेक्टरों के साथ-साथ संबंधित दवा कंपनियों के अधिकृत प्रतिनिधियों ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और नमूने एकत्र किए. जांच में पुष्टि हुई कि ये दवाएं पूरी तरह नकली थीं और न तो इनका निर्माण और न ही आपूर्ति संबंधित कंपनियों द्वारा की गई थी. साथ ही, आरोपियों के पास इन दवाओं को बनाने, रखने या बेचने का कोई वैध लाइसेंस नहीं था.
आरोपी नकली दवाओं को तैयार करने के बाद उन्हें असली दवाओं जैसी पैकिंग में भरकर अलग-अलग बाजारों में सप्लाई करते थे. जब्त सामग्री में लगभग 1,200 ट्यूब नकली बेटनोवेट-सी, 2,700 ट्यूब क्लॉप-जी, 3,700 ट्यूब स्किन-शाइन, करीब 22,000 खाली (भरने के लिए तैयार) क्लॉप-जी ट्यूब, 350 किलोग्राम से अधिक कच्चा माल और अन्य रसायन शामिल हैं.
100 से 150 रुपये तक में एक ट्यूब को बेचा जाता था
पुलिस के अनुसार, आरोपी केमिकल और अन्य रसायनों की मदद से दवा जैसी दिखने वाली नकली मलहम तैयार करते थे और उन्हें ट्यूब में भर दिया जाता था. इसके बाद ट्यूब पर नामी और प्रसिद्ध दवा कंपनियों के ब्रांड नाम छाप दिए जाते थे, ताकि ये असली दवा जैसी दिखाई दें. एक ट्यूब तैयार करने में आरोपियों को करीब दो रुपये का खर्च आता था, जबकि वही ट्यूब मेडिकल दुकानों को थोक में लगभग 30 रुपये में सप्लाई की जाती थी. आगे चलकर दुकानदार इन्हीं नकली दवाओं को 100 से 150 रुपये तक में बेचते थे, जिससे पूरे नेटवर्क को भारी मुनाफा होता था.
फिलहाल पुलिस इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए आगे की छापेमारी कर रही है. जांच का दायरा अब विक्रेताओं, डिलीवरी संभालने वालों और वितरकों तक बढ़ा दिया गया है, ताकि नकली दवाओं की इस सप्लाई चेन को पूरी तरह खत्म किया जा सके.
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