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ग्वालियर को दुनिया में मिल सकती है सिटी आफ म्यूजिक के रूप में पहचान

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ग्वालियर। यूनेस्को की सूची में ग्वालियर का संगीत सात दिन में शामिल हो सकता है, क्योंकि यूनेस्को ने इन सात दिनों के अंदर विश्वभर के देशों द्वारा क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क की संगीत श्रेणी में प्रतिस्पर्धा की थी, लेकिन भारत की ओर से ग्वालियर का नाम इस श्रेणी के लिए भेजा गया था। ग्वालियर के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में शामिल होने की अनेकों संभावनाएं हैं। इसके चलते माना जा रहा है कि ग्वालियर इस कैटेगरी में शामिल हो सकेगा और यहां के संगीत को विश्वभर में पहचान मिल सकेगी।

ऐतिहासिक शहर ग्वालियर के शास्त्रीय संगीत व ध्रुपद को विश्वव्यापी पहचान मिल सकती है। केंद्र सरकार ने ग्वालियर को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क की संगीत श्रेणी में शामिल किए जाने का प्रस्ताव यूनेस्को भेजा था। यूनेस्को नवंबर में सात दिनों के अंदर विश्वभर से भेजे गए नामों की घोषणा कर सकता है। सिटी आफ म्यूजिक कैटेगरी में शामिल हो जाने के बाद ग्वालियर में ध्रुपद संगीत को सीखने के लिए विश्वभर से विद्यार्थी आ सकेंगे। इसके साथ ही ग्वालियर का ध्रुपद विश्वभर में अपनी अलग पहचान के लिए जाना जाएगा

इन सात खूबियों से ग्वालियर हो सकता है शामिल

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यूनेस्कों द्वारा किसी भी शहर को सिटी आफ म्यूजिक में शामिल करने के लिए सात प्रकार के गुर देखे जाते हैं। इनमें शहर को संगीत का निर्माण और एक्टीविटी, म्यूजिकल फेस्टीवल और इवेंट का अनुभव होना चाहिए। संगीत विद्यालय और महाविद्यालय होने चाहिए। म्यूजिक इंडस्ट्रीज को प्रचारित किया गया हो। अनऔपचारिक शिक्षा केंद्र। स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म जहां कार्यक्रम आयोजित हो सकें।

ग्वालियर में यह सातों चीजें काफी पहले से हैं

स्मार्ट सिटी ने शहर की शासकीय दीवारों पर संगीत से जुड़ी बाल पेंटिंग आदि बनवाई थीं, जो कि इसके प्रचार-प्रसार के लिए थीं। इसके साथ ही डिजीटल म्यूजियम में एक अलग गैलरी के माध्यम से संगीत की विस्तृत जानकारियों को उपलब्ध कराया गया है। वहीं महाराज बाड़ा स्थित टाउन हाल भी बनकर तैयार है, जहां संगीत के आयोजन हो सकेंगे। इसके साथ ही संगीत की साधना के लिए तानसेन जन्मस्थली बेहट के विकास की योजना बनाई गई है। जहां संगीत शिक्षा केंद्र के साथ ही सुविधाजनक स्थल विकसित किया जाएगा। ग्वालियर शहर के समीप स्थित पवाया व बरई पनिहार आदि पुरातत्व महत्व के रंगमंचों को भी संगीत के दृष्टिगत विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही ग्वालियर में संगीत महाविद्यालय व विश्वविद्यालय भी हैं। साथ ही हर साल तानसेन समारोह का आयोजन यहां किया जाता है।

यूनेस्को में शामिल होने से यह होगा फायदा

यूनेस्को के सिटी आफ म्यूजिक में शामिल हो जाने के बाद शहरवासियों को काफी फायदा होगा, क्योंकि इससे ग्वालियर में पर्यटकों के आने का सिलसिला बढ़ जाएगा। पर्यटन से शहरवासियों के आय के साधनों में भी बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही शास्त्रीय संगीत को प्यार करने वाले ग्वालियर में इस विद्या को हासिल करने के लिए आएंगे। क्योंकि ग्वालियर में कई संगीत घराने हैं, साथ ही यहां पर संगीत महाविद्यालय व विश्वविद्यालय भी हैं।

यूनेस्को सात दिनों में कभी भी क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क के नामों की घोषणा कर सकता है। इसमें ग्वालियर का नाम शामिल होने की सभी संभावनाएं हैं। हम लोग भी यूनेस्को की सूची की प्रतीक्षा कर रहे हैं।जयति सिंह, सीईओ स्मार्ट सिटी

मध्य प्रदेश में छह सीटों पर उत्साह के बीच तीन बजे तक 53.40 प्रतिशत मतदान     |     नीलगंगा चौराहे पर दो भाइयों ने मिलकर युवक की चाकू मारकर हत्या की     |     मप्र हाई कोर्ट ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर लगाया 10 हजार जुर्माना, दी सख्त हिदायत     |     श्रम न्यायालय के आदेशानुसार शेष राशि का भुगतान ब्याज सहित करें, हाई कोर्ट ने दी 45 दिन की मोहलत     |     पांच महीने में 21 लाख रुपये बढ़ी शिवराज स‍िंंह चौहान की संपत्ति     |     इंदौर से चार रूट पर चलाई चार समर स्पेशल ट्रेन, फिर भी लंबी वेटिंग     |     पद्मश्री जोधइया बाई बैगा नहीं डाल सकीं वोट, उमरिया में उनके घर पर भी नहीं पहुंचा मतदान दल     |     राहुल गांधी 21 अप्रैल को सतना में करेंगे प्रचार, आसपास की दूसरी सीटों को भी साधने को कोशिश     |     मादा चीता वीरा को मुरैना से रेस्क्यू कर वापस लाया गया कूनो नेशनल पार्क     |     भोरे में हुई इंटर स्टेट को-ऑर्डिनेशन बैठक. यूपी बिहार सहित तीन जिला के पदाधिकारी रहे मौजूद.     |    

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