बगहा। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों की निगरानी में लगे कर्मियों की ट्रैकिंग की जा रही है। इसके लिए ‘एम-स्ट्रिप्स’ मोबाइल एप का उपयोग किया जा रहा है। इससे कंट्रोल रूम को पता चलता है कि कर्मी जंगल में कहां हैं। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) आधारित एप वनकर्मियों के मोबाइल में डाउनलोड किया गया है। जंगल में गश्त शुरू करने के पहले एंट्री कर एप को एक्टिवेट करना पड़ता है। इसके बाद कर्मी जहां-जहां जाते हैं, उसकी जानकारी कंट्रोल रूम को मिलती रहती है। यह व्यवस्था मानीटरिंग सिस्टम फार टाइगर्स इंटेसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलाजिकल स्टेटस के तहत की गई है। माना जा रहा कि यह पहल बाघों की सुरक्षा में तैनात कर्मियों को और जिम्मेदार बनाएगी।
मुख्य वन संरक्षक का कहना है कि वीटीआर लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसमें लगभग 50 बाघ व 120 तेंदुए हैं। बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। ये उत्तर प्रदेश एवं नेपाल तक मूवमेंट करते हैं। उनकी ट्रैकिंग के लिए 400 से अधिक कर्मी तैनात हैं। वनकर्मियों को गश्त के दौरान बाघ समेत दूसरे वन्यप्राणियों से जुड़े साक्ष्य मिलने पर इसकी तस्वीर भी साझा करनी होगी। इस व्यवस्था से वन्यप्राणियों के रिकार्ड संधारित करने में मदद मिलती है। इस एप के तहत वीटीआर के चप्पे चप्पे की निगरानी की जा रही है। इस एप में स्वत: डाटा कलेक्शन की व्यवस्था भी है। इसके उपयोग से वीटीआर की निगरानी व्यवस्था चाक-चौबंद हो गई है। वीटीआर के घने जंगलों में एम स्ट्राइप तकनीक से पैदल गश्त करने वाली टीमें तकनीक के दम पर सुदूरवर्ती इलाकों पर भी नजर रख रही है। वाल्मीकिनगर रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि एम स्ट्राइप तकनीक से गश्त में जंगल का वह इलाका भी कवर हो जाता है जहां कभी गश्त के लिए टीमें नहीं पहुंच पाती थीं
ऐसे होती है एप की मदद से मॉनीटरिंग
एम स्ट्राइप (मॉनीटरिग सिस्टम फार टाइगर इंटेशिव प्रोटेक्शन एंड ईको लाजिकल स्टेटस) एक ऐसा साफ्टवेयर है, जिसे मोबाइल में डाउनलोड करने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी का विवरण भरना होता है। जिसके बाद यह उस जगह का मैप दिखाना शुरू कर देता है। साथ ही अपने आप ही डाटा फीडिंग करने लगता है। वन अधिकारी मोबाइल आन होने पर लगातार कर्मचारी की लोकेशन ले सकते हैं।
टाइगर रिजर्व में पर्यटन सत्र को लेकर अलर्ट
पर्यटन को देखते पैदल गश्त के निर्देश दिए गए हैं। वीटीआर में एम स्ट्राइप तकनीक को पूरी तरह लागू करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इससे वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा और आसान हो गई है। कर्मचारी-अधिकारी भी अब इसके अभ्यस्त हो गए हैं। खासकर नए पर्यटन सत्र के दौरान इस तकनीक का और ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है।
वीटीआर के मुख्य वन संरक्षक एच के राय ने कहा कि नई तकनीकी की मदद से सुदूरवर्ती इलाकों की भी मॉनीटरिंग की जा रही है। इसी साल अक्टूबर से यह व्यवस्था लागू की गई है। टाइगर ट्रैकरों समेत अन्य वन कर्मियों को इस एप के इस्तेमाल का निर्देश दिया गया है।