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चीन में राष्‍ट्रपति चिनफिंग की तीसरी पारी, भारत और दुनिया के लिए क्या हैं इसके बड़े मायने

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नई दिल्‍ली। चीन में शी चिनफ‍िंग की सत्‍ता में तीसरी पारी के कार्यकाल में भारत समेत दुनिया पर क्‍या असर होगा। अब यह सवाल खड़े हो रहे हैं। क्‍या चीनी आक्रामकता में और तेजी आएगी। क्‍या चीन में अधिनायकवाद और मजबूत होगा। चिनफ‍िंग का नया राष्‍ट्रवार किस करवट जाएगा? चिनफ‍िंग के आक्रामक तेवर का असर भारत और दुनिया पर भी पड़ेगा? चीन अपने नए सीमा कानून के जरिए भारत समेत अपने पड़ोसी मुल्‍कों पर किस तरह का बर्ताव करेगा? दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की क्‍या रणनीति होगी? अमेरिका में बाइडन प्रशासन से उसके क्‍या रिश्‍ते होंगे। जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी पर इसका क्‍या असर होगा? आइए जानते हैं कि इन तमाम सवालों पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

क्‍या पूर्वी लद्दाख में इसका क्‍या असर होगा

1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि चिनफ‍िंग की आक्रामक नीति का असर भारत और चीन के संबंधों पर पड़ना तय है। उन्‍होंने कहा कि भारत-चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा साझा करता है। दोनों देशों की सीमा जम्‍मू-कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। दोनों देशों के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हो सका है। हालांक‍ि, यथास्थिति बनाए रखने के लिए वास्‍तविक नियंत्रण रेखा यानी लाइन आफ कंट्रोल शब्‍द का इस्‍तेमाल होता है। चिनफ‍िंग के सत्‍ता में आने के बाद सीमा विवाद गहरा सकता है। हालांकि, उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जंग की स्थिति उत्‍पन्‍न नहीं होगी।

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2- प्रो. पंत ने कहा कि चिनफ‍िंग के सत्‍ता में आने के बाद चीन का नया सीमा कानून जोर पकड़ेगा। चीन का यह नया कानून ऐसे वक्‍त आया है जब चीन का भारत के साथ पूर्वी लद्दाख और पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में लंबे समय से विवाद चल रहा है। खास बात यह है कि चीन का यह नया सीमा कानून अगले साल जनवरी में लागू होगा। चीन की आक्रामकतावादी नीति के कारण यह कानून भी शक की न‍िगाह से देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन की सीमा से लगने वाले देशों के लिए यह कानून अहम हो सकता है। इस सीमा कानून से भारत भी चिंतित है। भारत को यह चिंता सता रही होगी कि चीन वास्‍तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर यथास्थिति बदलने के कदम को सही ठहराने के लिए लैंड बाउंड्री कानून का प्रयोग कहीं न करे। यही कारण है कि भारत ने चीन के इस कानून की कड़ी निंदा की है।

चिनफ‍िंग की तीसरी पारी में और क्‍या बदलेगा 

  • प्रो. पंत ने कहा कि चिनफ‍िंग की सत्‍ता वापसी के बाद हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच टकराव और बढ़ेगा। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास करीब 9.75 लाख सक्रिय सैनिक हैं। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में हथियार और साजो सामान बढ़ाने में भी तेजी दिखाई है। उन्‍होंने कहा कि चिनफ‍िंग अमेरिका के लिए गंभीर चुनौती बन सकते हैं। प्रो. पंत ने कहा कि चिनफ‍िंग की इस पारी का लक्ष्‍य ताइवान को चीन में शामिल करने का होगा। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा। ताइवान की आजादी और उसकी लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को बचाने के लिए अमेरिका का बाइडन प्रशासन पूरी तरह संकल्‍पित है। ऐसे में यह तनाव अपने चरम पर जा सकता है।
  • उन्‍होंने कहा‍ि कि उत्‍तर कोरिया की मिसाइल कार्यक्रम को चीन बढ़ावा दे सकता है। इससे अमेरिका का तनाव बढ़ेगा। चिनफ‍िंग की इस पारी में अफगानिस्‍तान में तालिबान हुकूमत और पाकिस्‍तान के साथ गठजोड़ और मजबूत होगा। इससे पूरे क्षेत्र में आतंकवाद को एक नई हवा मिल सकती है। इसका असर भारत समेत तमाम लोकतांत्रिक देशों पर पड़ेगा। उत्‍तर कोरिया में किम जोंग उन को और म्‍यांमार में सैन्‍य हुकूमत को समर्थन देकर  चिनफ‍िंग लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की चाल चल सकते हैं।
  • इसके अलावा दुनिया में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ छिड़ी जंग कमजोर होगी। चिनफ‍िंग की जलवायु परिवर्तन को लेकर असहयोग और नकारात्‍मक रवैया से यह अभियान गति नहीं पकड़ सकेगा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चिनफ‍िंग ग्‍लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन की बैठक में हिस्‍सा नहीं लिए, जबकि चीन दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित फैलाने वाले देशों में एक है।
  • इसके अलावा दुनिया में कोरोना के खिलाफ चल रहे अभियान पर भी इसका असर होगा। उन्‍होंने कहा कि चिनफ‍िंग की तीसरी पारी में चीन का समाज दुनिया के लिए और बंद हो जाएगा। चीन में क्‍या हो रहा है इसकी जानकारी दुनिया तक नहीं पहुंच सकेगी। कोरोना की उत्‍पत्ति इसका ताजा उदाहरण है। चीन ने कोरोना उत्‍पत्ति की जांच इसलिए नहीं हो सकी क्‍योंकि चीन की सरकार ने खुलकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की टीम को सपोर्ट नहीं किया। चिनफ‍िंग की सत्‍ता में वापसी के बाद चीन और आत्‍मकेंद्रीत होगा।

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