इस बीच क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित मुद्दों के लिए आगे बढ़ने को लेकर पीएम मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को एक बैठक हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह महसूस किया गया कि क्रिप्टोकरेंसी के गैर-पारदर्शी विज्ञापन के माध्यम से युवाओं को गुमराह करने के प्रयासों को रोका जाना चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह महसूस किया गया कि इसके लिए वैश्विक भागीदारी और सामूहिक रणनीतियों की आवश्यकता होगी। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सरकार की ओर से उठाए गए कदम के दूरगामी परिणाम होंगे। इस मसले पर सरकार विशेषज्ञों एवं अन्य हितधारकों के साथ संवाद बनाए रखेगी।

ऐसे में आगामी सोमवार को वित्त मंत्रालय की स्थाई संसदीय समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है जिसमें क्रिप्टोकरेंसी से जुडे़ तमाम मुद्दों पर विमर्श होगा। इस बैठक के बाद समिति की रिपोर्ट से सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर कानून बनाने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो सरकार अगले शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े विधेयक को संसद पटल पर रख देगी। पिछले छह महीने में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो हुआ है उसे देखते हुए वित्त मंत्रालय का रुख भी इसके नियमन को लेकर बदल चुका है

सरकार ने पहले भी क्रिप्टोकरेंसी के नियमन कोलेकर एक विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया था जिसमें इसको पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की बात थी। लेकिन जिस तरह से बड़े पैमाने पर भारतीय निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रखा है उसे देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की संभावना नहीं है।

वित्त मंत्रालय में यह विचार है कि चीन की तरह क्रिप्टोकरेंसी को बंद करने का फैसला नहीं करना चाहिए, बल्कि बेहद कड़े नियमों के साथ इससे चलाने की अनुमति होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने के बारे में बात कही थी। दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगस्त, 2021 में एक कार्यक्रम में कहा था कि वह क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से बंद करने पक्ष में नहीं हैं।