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भोरे में हुई इंटर स्टेट को-ऑर्डिनेशन बैठक. यूपी बिहार सहित तीन जिला के पदाधिकारी रहे मौजूद. मध्य प्रदेश में छह सीटों पर उत्साह के बीच तीन बजे तक 53.40 प्रतिशत मतदान नीलगंगा चौराहे पर दो भाइयों ने मिलकर युवक की चाकू मारकर हत्या की मप्र हाई कोर्ट ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर लगाया 10 हजार जुर्माना, दी सख्त हिदायत श्रम न्यायालय के आदेशानुसार शेष राशि का भुगतान ब्याज सहित करें, हाई कोर्ट ने दी 45 दिन की मोहलत पांच महीने में 21 लाख रुपये बढ़ी शिवराज स‍िंंह चौहान की संपत्ति इंदौर से चार रूट पर चलाई चार समर स्पेशल ट्रेन, फिर भी लंबी वेटिंग पद्मश्री जोधइया बाई बैगा नहीं डाल सकीं वोट, उमरिया में उनके घर पर भी नहीं पहुंचा मतदान दल राहुल गांधी 21 अप्रैल को सतना में करेंगे प्रचार, आसपास की दूसरी सीटों को भी साधने को कोशिश मादा चीता वीरा को मुरैना से रेस्क्यू कर वापस लाया गया कूनो नेशनल पार्क

ऐ शराब! तेरे तलबगार कई, तरफदार कोई नहीं

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प्रशांत कुमार
‘बिहार में शराब’, करीब 10 दिनों से हॉट-केक बनी है। शराब पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए पुलिस-प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन ये अभियान व्‍यवहारिक रूप से सफलता दिलाना वाला नजर नहीं आ रहा। ताबड़तोड़ छापेमारियां हो रही हैं। देसी शराब की भट्ठियां ध्‍वस्‍त की जा रही हैं। अलग-अलग जिलों में लाखों-करोड़ों की विदेशी शराब की खेप पकड़ी जा रही है। ये बताती है कि शराब के ‘तलबगार’ कई हैं, मगर जब शराब पर लगा बैन हटाने के लिए पूछा जाए तो नेता से आम आदमी तक पर्दे के सामने तरफदारी करता नजर नहीं आता, क्‍योंकि इसका सेवन करना सामाजिक बुराई मानी जाती है।

हाल के दिनों में जहरीली शराब से 50 से अधिक मौतों के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ट्विटर के जरिए नीतीश कुमार और जदयू-भाजपा पर लगातार हमलावर हैं। लेकिन, इससे नीतीश कुमार को कोई फर्क नहीं पड़ता। वे अपने स्‍टैंड पर कायम हैं, क्‍योंकि 2016 में जब शराबबंदी लागू हुई थी, तब राजद और कांग्रेस के सहयोग से ही उनकी सरकार बनी थी। नीतीश कुमार के फैसले का दोनों ही दलों ने समर्थन किया था। ये अलग बात है कि वर्तमान सहयोगी दल भाजपा इस मुद्दे पर बागी अंदाज में है। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष संजय जायसवाल ने शराबबंदी को विफल करार दिया है। एक बयान में पुर्नविचार की भी बात कही है।

ग्राउंड रियलिटी सियासी सोच और मीडिया की खबरों से बिल्‍कुल अलग है। टीवी चैनलों पर लोग भले ही शराबबंदी की तरफदारी कर रहे हों, लेकिन हकीकत ये है कि शराब तभी बिक रही है, जब इसके तलबगार खरीद रहे हैं। पीने वाले तब भी पी रहे थे और अब भी। कुछ ऐसे वर्ग हैं, जो बिना पिए नहीं रह सकते। यदा कदा ही सही, वो कहीं न कहीं से जुगाड़ कर ही लेते हैं। शराबबंदी कानून का नाजायज फायदा उठाने की खबरें भी आई हैं। पुलिस के लिए धनार्जन का एक और माध्यम बन गया। भूमि माफिया ने जमीन को कब्जा करने, लोगों को फंसाने के लिए भी शराबबंदी कानून को हथकंडा बनाया। ये भी सच है कि शराब से राज्‍य सरकार को राजस्‍व का बड़ा नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई करने के लिए पांच सालों में कोई योजना धरातल पर नहीं आई। शराब माफिया के चेहरे 2000 के नोटों की तरह लाल हो गए हैं। शराब के कारोबार का सिंडिकेट इतना बड़ा हो गया है कि माफिया भी बंदी के समर्थक बन गए हैं।

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नीतीश कुमार 16 नवंबर को उच्‍चस्‍तरीय बैठक कर शराबबंदी की समीक्षा करेंगे। कुछ लोगों का कहना है कि वे बंदी में रियायत दे सकते हैं। लेकिन, सीएम ने दो टूक में सख्‍ती की बात कही थी। मुख्‍यमंत्री हर बार शराबबंदी को महिलाओं की मांग बता रहे हैं। मगर नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे 2020 की रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि शराब पर पुरुषों का एकाधिकार नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में महाराष्‍ट्र से अधिक लोग शराब का सेवन करते हैं। इसमें महिलाओं की भी बड़ी संख्‍या है। जानकारों का कहना है कि शराबबंदी सत्ता पक्ष के लिए गले की फांस बन गई है। इसे वापस लेना इतना आसान नहीं है। अनुमान है कि मुख्‍यमंत्री अपने फैसले पर अडिग रहेंगे। रियायत की कहीं गुंजाइश नहीं बनती। वैसे इतिहास के पन्नों को देखें तो नीतीश कुमार के ज्यादातर फैसले चौंकाने वाले रहे हैं।

प्रशांत कुमार
‘बिहार में शराब’, करीब 10 दिनों से हॉट-केक बनी है। शराब पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए पुलिस-प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन ये अभियान व्‍यवहारिक रूप से सफलता दिलाना वाला नजर नहीं आ रहा। ताबड़तोड़ छापेमारियां हो रही हैं। देसी शराब की भट्ठियां ध्‍वस्‍त की जा रही हैं। अलग-अलग जिलों में लाखों-करोड़ों की विदेशी शराब की खेप पकड़ी जा रही है। ये बताती है कि शराब के ‘तलबगार’ कई हैं, मगर जब शराब पर लगा बैन हटाने के लिए पूछा जाए तो नेता से आम आदमी तक पर्दे के सामने तरफदारी करता नजर नहीं आता, क्‍योंकि इसका सेवन करना सामाजिक बुराई मानी जाती है।

हाल के दिनों में जहरीली शराब से 50 से अधिक मौतों के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ट्विटर के जरिए नीतीश कुमार और जदयू-भाजपा पर लगातार हमलावर हैं। लेकिन, इससे नीतीश कुमार को कोई फर्क नहीं पड़ता। वे अपने स्‍टैंड पर कायम हैं, क्‍योंकि 2016 में जब शराबबंदी लागू हुई थी, तब राजद और कांग्रेस के सहयोग से ही उनकी सरकार बनी थी। नीतीश कुमार के फैसले का दोनों ही दलों ने समर्थन किया था। ये अलग बात है कि वर्तमान सहयोगी दल भाजपा इस मुद्दे पर बागी अंदाज में है। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष संजय जायसवाल ने शराबबंदी को विफल करार दिया है। एक बयान में पुर्नविचार की भी बात कही है।

ग्राउंड रियलिटी सियासी सोच और मीडिया की खबरों से बिल्‍कुल अलग है। टीवी चैनलों पर लोग भले ही शराबबंदी की तरफदारी कर रहे हों, लेकिन हकीकत ये है कि शराब तभी बिक रही है, जब इसके तलबगार खरीद रहे हैं। पीने वाले तब भी पी रहे थे और अब भी। कुछ ऐसे वर्ग हैं, जो बिना पिए नहीं रह सकते। यदा कदा ही सही, वो कहीं न कहीं से जुगाड़ कर ही लेते हैं। शराबबंदी कानून का नाजायज फायदा उठाने की खबरें भी आई हैं। पुलिस के लिए धनार्जन का एक और माध्यम बन गया। भूमि माफिया ने जमीन को कब्जा करने, लोगों को फंसाने के लिए भी शराबबंदी कानून को हथकंडा बनाया। ये भी सच है कि शराब से राज्‍य सरकार को राजस्‍व का बड़ा नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई करने के लिए पांच सालों में कोई योजना धरातल पर नहीं आई। शराब माफिया के चेहरे 2000 के नोटों की तरह लाल हो गए हैं। शराब के कारोबार का सिंडिकेट इतना बड़ा हो गया है कि माफिया भी बंदी के समर्थक बन गए हैं।

नीतीश कुमार 16 नवंबर को उच्‍चस्‍तरीय बैठक कर शराबबंदी की समीक्षा करेंगे। कुछ लोगों का कहना है कि वे बंदी में रियायत दे सकते हैं। लेकिन, सीएम ने दो टूक में सख्‍ती की बात कही थी। मुख्‍यमंत्री हर बार शराबबंदी को महिलाओं की मांग बता रहे हैं। मगर नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे 2020 की रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि शराब पर पुरुषों का एकाधिकार नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में महाराष्‍ट्र से अधिक लोग शराब का सेवन करते हैं। इसमें महिलाओं की भी बड़ी संख्‍या है। जानकारों का कहना है कि शराबबंदी सत्ता पक्ष के लिए गले की फांस बन गई है। इसे वापस लेना इतना आसान नहीं है। अनुमान है कि मुख्‍यमंत्री अपने फैसले पर अडिग रहेंगे। रियायत की कहीं गुंजाइश नहीं बनती। वैसे इतिहास के पन्नों को देखें तो नीतीश कुमार के ज्यादातर फैसले चौंकाने वाले रहे हैं।

मध्य प्रदेश में छह सीटों पर उत्साह के बीच तीन बजे तक 53.40 प्रतिशत मतदान     |     नीलगंगा चौराहे पर दो भाइयों ने मिलकर युवक की चाकू मारकर हत्या की     |     मप्र हाई कोर्ट ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर लगाया 10 हजार जुर्माना, दी सख्त हिदायत     |     श्रम न्यायालय के आदेशानुसार शेष राशि का भुगतान ब्याज सहित करें, हाई कोर्ट ने दी 45 दिन की मोहलत     |     पांच महीने में 21 लाख रुपये बढ़ी शिवराज स‍िंंह चौहान की संपत्ति     |     इंदौर से चार रूट पर चलाई चार समर स्पेशल ट्रेन, फिर भी लंबी वेटिंग     |     पद्मश्री जोधइया बाई बैगा नहीं डाल सकीं वोट, उमरिया में उनके घर पर भी नहीं पहुंचा मतदान दल     |     राहुल गांधी 21 अप्रैल को सतना में करेंगे प्रचार, आसपास की दूसरी सीटों को भी साधने को कोशिश     |     मादा चीता वीरा को मुरैना से रेस्क्यू कर वापस लाया गया कूनो नेशनल पार्क     |     भोरे में हुई इंटर स्टेट को-ऑर्डिनेशन बैठक. यूपी बिहार सहित तीन जिला के पदाधिकारी रहे मौजूद.     |    

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