पटना। बिहार में करीब पांच साल बाद शराबबंदी के औचित्य पर सवाल उठाए जा रहे हैैं। सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दल भी इसकी समीक्षा की बात कर रहे हैैं, लेकिन नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट आंखें खोलने वाली हैै। शराब पीकर गाड़ी चलाने के चलते देश भर में 2020 में कुल 6974 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 3026 लोगों के प्राण चले गए। बिहार में पांच हजार किमी से भी ज्यादा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) एवं चार हजार किमी से ज्यादा स्टेट हाइवे (एसएच) के बावजूद शराब की वजह से किसी दुर्घटना में एक भी मौत नहीं हुई। यह लगातार दूसरा वर्ष है, जब शराबबंदी के चलते बिहार के लोगों की जान सड़कों पर सुरक्षित रही।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि पिछले चार वर्षों के दौरान बिहार में सिर्फ दस लोगों की जान शराब पीकर गाड़ी चलाने में गई, जबकि 2016 में शराबबंदी लागू होने से महज एक वर्ष पहले 2015 का आंकड़ा गौर करने वाला है। इस वर्ष शराब पीकर गाड़ी चलाने में बिहार में 1557 लोगों की जान गई थी। पिछले दस वर्षों के आंकड़े बिहार में शराबबंदी का पूर्ण समर्थन करते हैैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के 2011 से लेकर 2015 तक की रिपोर्ट बताती है कि इस दौरान प्रत्येक वर्ष करीब डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की जानें गईं। बिहार में शराबबंदी से पहले 2010 से 2014 के बीच पांच वर्षों में शराब पीकर सड़क दुर्घटना में 7304 लोगों की मौत हुई थी।
पड़ोसी राज्यों में शराब की वजह से ज्यादा मौत :
बिहार में शराब की वजह से सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है तो दूसरी ओर पड़ोसी राज्यों में लोगों की ज्यादा जानें जा रही हैैं। 2019 में झारखंड में 686 लोग, यूपी में 4496 लोग और ओडिशा में 1068 लोगों की जान शराब पीकर गाड़ी चलाने के चलते गई।
बिहार में शराब की वजह से नहीं हो रही एक भी सड़क दुर्घटना
बिहार में शराब पीकर गाड़ी चलाने में मौत
वर्ष : मौत
2011 : 1590
2012 : 1572
2013 : 1532
2014 : 1680
2015 : 1457
2016 : 593
2017 : 00
2018 : 10
2019 : 0
2020 : 0
स्रोत : नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो
बिहार में शराब पीकर सड़क हादसे में चार वर्षों के दौरान सिर्फ 10 लोगों की हुई मौत