
रिपोर्ट – अनमोल कुमार
जिन्ना का जिन्न बिहार में
*पीएम बनने के लिए नेहरू ने देश का बंटवारा कराया : खालिद
*जिन्हे जिन्ना से प्रेम है पाकिस्तान चले जाएं : सम्राट चौधरी
*नेहरू व जिन्ना की वजह से देश बंटा : प्रेम रंजन पटेल
पटना : पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना पर बयानबाजी की आंच उत्तर प्रदेश से बिहार आ पहुंची है। जदयू और भाजपा नेताओं के बाद अब वरिष्ठ राजद नेता और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा है कि जिन्ना नहीं चाहते थे कि देश का विभाजन हो। सावरकर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे। सावरकर जैसे लोगों ने देश को तोड़ने का काम किया है। देश के बंटवारे के लिए सावरकर जिम्मेदार हैं। देश की आजादी में जिन्ना का बड़ा योगदान रहा।
गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सबसे पहले जिन्ना को पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के समान बताया था। इसके बाद जदयू एमएलसी खालिद अनवर ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना अखंड भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
खालिद अनवर ने अपने बयान में कहा था कि जिन्ना संयुक्त भारत की आजादी के लिए बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्ना पहली कतार के स्वतंत्रता सेनानी थे। देश की आजादी के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन्ना ने मुल्क का विभाजन कराकर पाकिस्तान बनाया, मगर इसके लिए उन्हें हम भला बुरा कहें यह ठीक नहीं है।
खालिद अनवर ने कहा कि आतंकवाद को दो चश्में से देखने की वजह से देश का विभाजन हुआ। कांग्रेस देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने के लिए ही देश का विभाजन करवाया। वह चाहते तो विभाजन को रोक सकते थे।
जदयू एमएलसी खालिद अनवर के बयान पर नीतीश मंत्रिमंडल में भाजपा के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि जिन्हें जिन्ना से प्रेम है वह पाकिस्तान जाकर रह सकते हैं। ऐसे लोगों के लिए पाकिस्तान का दरवाजा हमेशा खुला है। हिंदुस्तान में रहने के लिए भारत माता और महात्मा गांधी की जय बोलना पड़ेगा।
वहीं भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि यह सबको मालूम है कि प. नेहरू और जिन्ना की जिद की वजह से देश का बंटवारा हुआ। दोनों प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। आखिरकार दोनों की इच्छा पूर्ति हुई और दोनों पीएम बने, लेकिन इन दोनों की महत्वाकांक्षा की वजह से देश का बंटाधार हो गया। उस समय देश की स्थिति कमजोर थी। अर्थशास्त्र का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से युद्ध पर खर्च हुआ। लेकिन कश्मीर की समस्या अब तक बनी हुई है।