नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लिया है। दिल्ली सरकार को कहा है कि वह अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागे। बावजूद दिल्ली सरकार पर कोई असर नहीं है। दिल्लीवासियों को संकट में छोड़कर मुख्यमंत्री गोवा में घूम रहे हैं। उपमुख्यमंत्री, अन्य मंत्री व विधायक राजनीतिक भ्रमण पर हैं। यदि अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकते तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर बना दिया। दिल्ली के लोग गैस चैंबर में रह रहे हैं
इसी का नतीजा है कि लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। इसके लिए केजरीवाल जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पराली से प्रदूषण मात्र चार प्रतिशत है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पंजाब और हरियाणा में पराली जलने को प्रदूषण का कारण बताते हैं। यदि ऐसा होता तो पड़ोसी राज्यों में ज्यादा प्रदूषण होता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण के तीन कारण है, जिसमें धूल, वाहनों का धुआं और औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषण। दिल्ली में परिवहन प्रणाली बदहाल है।
सरकार का कहना है कि दिल्ली में सात हजार बसें चल रही हैं जबकि आरटीआइ के जवाब के अनुसार लगभग पांच हजार बसें चल रही हैं। दो साल पहले दिल्ली में 11 हजार बसों की जरूरत थीं। 1439 करोड़ रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति अधिभार वसूला गया, लेकिन प्रदूषण की समस्या हल करने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि भाजपा लगातार प्रदूषण के कारणों को लेकर सरकार को सचेत करती रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी यही बात कही है। सरकार की वजह मेट्रो का काम विलंब हो रहा है। धूल से 21 प्रतिशत प्रदूषण फैलता है। भाजपा नेता ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि प्रदूषण बढ़ने पर हेलिकॉप्टर से पानी का छिड़काव किया जाएगा। मशीन से सड़कों की सफाई करने, स्मॉग टावर लगाने, इलेक्ट्रिक बसें लाने का भी वादा किया था। एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। इसके लिए सिर्फ दिल्ली सरकार जिम्मेदार है।