
पटना। शराबबंदी पर बिहार सरकार घिरती जा रही है। विपक्ष के चौतरफा हमले के बीच मंगलवार को समीक्षा बैठक के 24 घंटे बाद बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रोकथाम को लेकर बड़ा फैसला लिया। भारतीय प्रशासनिक सेवा के तेज तर्रार अधिकारी केके पाठक को मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव का जिम्मा दे दिया। अभी तक यह जिम्मेदारी गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद के पास थी। साल 2016 में भी पाठक इस पद पर रह चुके हैं। बिहार में विपक्ष ने अब शराबबंदी और अधिकारी के बदलाव को लेकर बड़ा मुद्दा बना लिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक तेजप्रताप यादव ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि सदन शुरू होते ही सरकार को घेरेंगे। इसबार ऐसा प्लान बनाया है कि कोई बच नहीं पाएगा।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप ने आरोप लगाया कि सरकार खुद शराब बिकवा रही है। पूरे राज्य में बोलतों का कारोबार हो रहा है। सड़कों पर निकलो तो लोग नशे में दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी को लेकर बनाया गया कानून केवल दिखावे का है। बड़े-बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से होम डिलिवरी हो रही है। तेजप्रताप ने कहा कि हमने 29 नवंबर से सदन के शुरू होते है सरकार को घेरने का प्लान बना लिया है। विधानसभा में सवाल उठाएंगे और सरकार से कहेंगे कि मंत्री और विधायकों के आवास का निरीक्षण करवाइए। उन्होंने कहा कि हमेशा विपक्ष के सवालों से सरकार पल्ला झाड़ लेती है पर इस बार कोई बच नहीं पाएगा। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भी सरकार से सवाल किया है। पार्टी ने पूछा है कि अगर केके पाठक इतने काबिल थे तो पहले उन्हें इस पद से क्यों हटाया गया था? कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि यह सब केवल इस लिए किया जा रहा है ताकि सरकार अपनी लापरवाही पर अधिकारी को जिम्मेदार बता सके।