
रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने तीनों कृषि कानून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वापस लेने पर देर से लिया गया फैसला बताया। उन्होंने कहा कानून वापस लेना देर से ही सही प्रधानमंत्री को सद्बुद्धि आ गई। अगर कोई नेता राष्ट्रहित में फैसला लेता है तो हम उनको बधाई देते हैं। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लगभग 600 किसानों की जान गई है। इस आदोलन में यह नहीं कहता कि उसकी जवाबदार वह हैं लेकिन यह निर्णय पहले भी हो सकता है
सैकड़ों किसानों की जान बच जाती
कृषि कानून वापस लेने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा इन काले कानूनों को पहले ही वापस ले लेते तो इन कानूनों के विरोध के कारण चलाये जा रहे आंदोलन में सैकड़ो किसानों की जाने नहीं जाती। आशा है प्रधानमंत्री की यह घोषणा पूरी ईमानदार होगी। इसके पीछे कोई और चाल नही होगी। इन कानूनों को तो संसद में प्रस्तुत करने के पहले जब अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था उसी समय वापस ले लेना था। जिस कानून की विसंगतियों और दुष्प्रभाव को समझने में किसानों और देश की जनता को तीन घण्टे भी नही लगे उन काले कानूनों के बुरे प्रभावों को समझने में मोदी सरकार को एक साल से भी अधिक समय लग गया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर नए सिरे से शुरुआत करने की बात कर रहे लेकिन कृषि कानूनों के विरोध के आंदोलनों में जिन लोगों की जानें गई है। जब तक उनके घावों में मरहम नही लगेगा नए सिरे से शुरुआत कैसे होगी ? प्रधानमंत्री मोदी को इन शहीद किसानों आंदोलनकारियों के परिवारों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए तथा मृतकों को उचित मुआवजा भी दिया जाए।