
रायपुर। रायपुर वन वृत्त के अंतर्गत आने वाले दैनिक वेतनभोगियों (जाबदर) के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि रायपुर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक ने दैनिक वेतनभोगियों का 30 प्रतिशत वेतन घटाने का आदेश कर दिया है। मुख्य वन संरक्षक के इस आदेश से वन विभाग में 15 से 20 साल से दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों के घर चूल्हा जलना मुश्किल हो जाएगा। मुख्य वन संरक्षक के इस आदेश से कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त है।
मुख्य वन संरक्षक रायपुर के इस फैसले के खिलाफ कर्मचारी जल्द ही वन मंत्री और प्रधान मुख्य वन संरक्षक से मिलने की योजना बना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में सोमवार को कमेटी की बैठक बुलाई गई है। बैठक में निर्णय लिया जाएगा
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रायपुर वन वृत्त के अंतर्गत आने वाले रायपुर, महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, बलौदाबाजार वन मंडर एवं मंत्रालय में करीब 300 दैनिक वेतनभोगी पिछले 15 से 20 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं। वन विभाग ने 5 नवंबर, 2020 को वेतन भोगियों के वेतन में 18 प्रतिशत वृद्धि की थी। वेतन वृद्धि के बाद वर्तमान में उन्हें 17 हजार 255 रुपये वेतन के रूप में मिल रहा था। 16 नवंबर, 2021 को रायपुर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें दैनिक वेतनभोगियों के वेतन में अचानक 30 प्रतिशत कटौती कर दी है। यह आदेश यदि लागू हो जाता है तो कर्मचारियों के हाथ में 12 हजार 64 रुपये आएगा। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन कटौती के बाद बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के खर्च के साथ परिवार का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा। कर्मचारी वेतन बढ़ाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन विभाग ने वेतन बढ़ाने के बजाय घटा दिया है।
जानिए क्या है श्रम आयुक्त का आदेश
कर्मचारियों ने बताया कि रायपुर श्रम आयुक्त का आदेश है कि यदि वेतन वर्तमान दर से अधिक है तो भी किसी स्थिति में कम नहीं किया जाएगा। उसके बाद भी वेतन कम कर दिया गया है, जबकि नियम है कि वृत्त स्तर पर तीन डीएफओ की समिति गठित की जाती है। समिति की अनुशंसा पर वृत्त अधिकारी द्वारा जाब दर निर्धारित कर सकता है। विभाग ने इन नियमों का भी पालन नहीं किया है, इसलिए कर्मचारियों के अंदर काफी रोष व्याप्त है। कर्मचारी जल्द ही अपनी समस्या को लेकर उच्च स्तर पर अपनी मांग रखेंगे।
दैनिक वेतन भोगियों को नहीं मिलता समय पर वेतन
ज्ञात हो कि प्रदेश कांकेर, जगदलपुर, सरगुजा, दुर्ग, बिलासपुर और रायपुर वन वृत्त में कुल पांच हजार के करीब दैनिक वेतन भोगी काम करते हैं। विभाग द्वारा दैनिक वेतन भोगियों को कई महीनों वेतन नहीं दिया जाता है। वेतन भोगी किसी तरह अपना घर चलाते हैं। वर्तमान में कोटा डिपो बिलासपुर में पदस्थ दैनिक वेतन भोगियों को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिला है। जिससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी फंड की कमी का रोना रो रहे हैं।
जाब दर का किया गया निर्धारण
जाब रेट का निर्धारण मुख्य वन संरक्षक द्वारा किया जाता है। पिछले साल समिति का गठन कर जाब दर का निर्धारण किया गया। एक साल बाद बिना किसी कारण के वेतन घटा दिया गया, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश है।
-बजरंग मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष, छग संयुक्त प्रगति शील कर्मचारी महासंघ
बुलाई गई है बैठक
तकनीकी दिक्कत आई है। सोमवार को इस संबंध में बैठक बुलाई गई है। बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
-राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, छत्तीसगढ़