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शराब प्रतिबंध प्रतिकूल, जो स्वास्थ्य जोखिम पैदा करने वाले अवैध, नकली और असुरक्षित उत्पादों को बढ़ावा देता है : इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन

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एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.)

शराब सेवन के बारे में दीर्घकालिक जागरूकता अभियान चलाना अधिक महत्वपूर्ण
 शराब सेवन की समस्या का हल शराबबंदी नहीं बल्कि इससे छिपकर अधिक बिकेगी
 हरियाणा, आंध्र प्रदेश और केरल में शराबबंदी असफल रही है
 शराब बंदी की कीमत चुकाना पर्याप्त है- प्रदेश की राजस्व हानि और केंद्र से मिलने वाले अनुदानों पर
निर्भरता में वृद्धि के लिए
पटना, 19 नवंबर 2021: द इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया
(आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.), प्रीमियम एल्कोबेव क्षेत्र की शीर्ष संस्था ने बिहार सरकार से शराब सेवन की
जिम्मेदारी सुनिश्चित कराने संबंधी परामर्शी और प्रगतिशील नीति बनाने की प्रक्रिया पर ज़ोर देने का आग्रह
किया है, न कि प्रदेश में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के। इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन
एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.), की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री नीता कपूर ने ज़ोर देकर बताया
कि कैसे प्रतिबंध से कुछ और हासिल नहीं होगा बल्कि उससे अवैध और नकली शराब की खपत ही और बढ़ेगी- "प्रतिबंध
प्रतिकूल, अवैध, नकली और असुरक्षित उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने वाला है जिससे सेहत के ख़तरे बढ़ सकते हैं। इससे
जहाँ उत्पादन, बिक्री और खपत होती है वहाँ से नियंत्रण भी उठ जाएगा। इसके बजाय यदि रेस्त्रां, आसपास के मध्यमवर्गीय
स्थानों या व्यावसायिक जिलों में जहाँ आसानी से शराब मिल सकती है, वहाँ कड़ाई से पालन करवाया जा सकता है। यदि
बाज़ार में आने वाली शराब के स्रोत और पहुँच पर से नियंत्रण हट गया तो ऐसा कोई तंत्र नहीं हो सकता जिससे यह पता
लगाया जा सके कि किस तरह की शराब यहाँ तक आ रही है; इससे शराब से होने वाली “दुखद त्रासदियों” की घटनाओं में
इज़ाफा होगा।”
हाल ही में संपन्न हुई उच्च स्तरीय बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाने
के सख्त उपायों को लागू करते समय आने वाली व्यवस्थागत दिक्कतों और खामियों को दूर करने संबंधी निर्देश जारी किए।
यह समीक्षा बैठक गत दिनों दिवाली के दौरान बिहार के विभिन्न जिलों मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज, पश्चिम
चंपारण और पूर्वी चंपारण में जहरीली शराब पीने से हुई त्रासदियों चलते ली गई। इनमें से अधिकांश जिलों की सीमाएँ
उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल से लगी हुई हैं जहाँ से अवैध शराब का व्यापार फल-फूल रहा है। बिहार पुलिस के अनुसार
राज्य के विभिन्न जिलों में राज्य मद्य निषेध एवं उत्पाद (संशोधन) अधिनियम 2018 के तहत डाले गए विशेष छापों में कुल
49,900 मामले सामने आए हैं। जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक की छापेमारी के दौरान प्रदेश में 38,72,645 लीटर
अवैध शराब बरामद कर जब्त की गई।

छवि साभार स्रोत: इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.)
इस बात पर जोर देते हुए कि शराबबंदी से राज्य को राजस्व का नुकसान होता है, श्री सुरेश मेनन, महासचिव, इंटरनेशनल
स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.), ने कहा, 5 अप्रैल 2021 को बिहार ने शराब के
उत्पादन, बिक्री और खपत पर संपूर्ण प्रतिबंध के पांच साल पूरे कर लिए हैं। शराब बिक्री राज्य कोष के राजस्व का एक
प्रमुख स्रोत होती थी। 2015-16 में, बिहार ने एल्कोबेव से 4,494 करोड़ रुपये कमाए – (राज्य उत्पाद शुल्क में 3,141.7

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करोड़ रुपये और वैट से 1,353 करोड़ रुपये); 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद, अल्कोबेव से मिलने वाला राजस्व
राज्य के अपने कर राजस्व का 17.7% था। 2015-16 में 25,449 करोड़ रुपए घटकर यह शून्य हो गया। इससे राज्य
सरकार के राजस्व को काफी घाटा उठाना पड़ा है।”

छवि साभार स्रोत: आईस्टॉक
निषेध को लागू करने की लागत पर जोर देते हुए, सुश्री नीता कपूर ने आगे कहा कि; “राज्य को राजस्व हानि के अलावा
इसका प्रतिकूल असर इससे संबंधित उद्योगों के निवेश पर भी होता है और और केंद्रीय अनुदान पर निर्भरता बढ़ जाती है।
पीआरएस राज्य बजट दस्तावेज़ के आंकड़ों की गणना के आधार पर देखे तो केंद्र से बिहार को सहायता अनुदान का विस्तार
2015-16 में 18,171 करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना बजट अनुमान (बीई) से 2021-22 में 54,531 करोड़ रुपये हो
गया; शराबबंदी के कारण राजस्व हानि पर ग्रहण लगता-सा दिखता है।"
इससे पहले भारत के कुछ राज्यों हरियाणा, आंध्र प्रदेश और केरल ने शराब पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया था, लेकिन
बाद में इसे निरस्त कर दिया। अन्य राज्यों के उदाहरणों को रेखांकित करते हुए श्री सुरेश मेनन, महासचिव, इंटरनेशनल
स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.), ने कहा कई भारतीय राज्यों में शराब बंदी सफल
सिद्ध नहीं हुई है। केरल के उदाहरण से सीखना महत्वपूर्ण है, जहां एल्कोबेव सेक्टर में शराबबंदी से राज्य के राजस्व में कमी
आई, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में गिरावट देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग मूल्य श्रृंखला में नौकरी का नुकसान
हुआ, खासकर होरेका क्षेत्र में। हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने शराब नीति में प्रगतिशीलता लाते हुए निषेध से प्रतिबंध की
घोषणा की। इससे पहले की नीति के नकारात्मक परिणाम पर्यटन में गिरावट, राज्य के राजस्व में गिरावट, अवैध, नकली
उत्पादों और शराब तस्करों का बढ़ना, पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी में वृद्धि आदि हैं।”
दीर्घकालिक समाधान पर जोर देते हुए, सुश्री नीता कपूर ने कहा; " प्रगतिशील और अनुमानित नीति प्रीमियम ब्रांड
मालिकों को सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को लागू करने, विनिर्माण प्रक्रिया के हर पहलू में उच्च गुणवत्ता लाने और राज्य के लिए
आर्थिक अवसर पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।" सुश्री नीता कपूर ने यह भी कहा कि "शराब के दुरुपयोग पर ध्यान देने
के लिए प्रतिबंध की नीति के साथ शराब का सेवन जिम्मेदारी से करने के लिए निरंतर दीर्घकालिक जागरूकता और शिक्षा
अभियान चलाया जाना चाहिए।"
इएसडब्ल्यूएआई अपनी सदस्य कंपनियों के साथ सुसंगत और प्रगतिशील शराब नीति तैयार करने में भारतीय राज्य
सरकारों का समर्थन करता है और इसका उद्देश्य मादक पेय पदार्थों की जिम्मेदार खपत से संबंधित सामान्य शिक्षा को
बढ़ावा देना है।

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