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बेंगलुरु: आर्कबिशप ने किया धर्मांतरण विरोधी विधेयक का विरोध, शीतकालीन सत्र में होगा पेश

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बेंगलुरु। बेंगलुरु के आर्कबिशप पीटर मचाडो ने आगामी शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश करने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध किया है। मचाडो ने शुक्रवार को कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई को लिखे पत्र में कहा है कि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए भेदभावपूर्ण विधेयक को बढ़ावा नहीं देने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि कर्नाटक में पूरा ईसाई समुदाय एक स्वर में धर्मांतरण विरोधी विधेयक के प्रस्ताव का विरोध करता है। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए आर्कबिशप ने कहा कि इस तरह के कानूनों को लागू करने से नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन होगा।

इसके साथ ही उन्होंने कर्नाटक सरकार के आधिकारिक और गैर-आधिकारिक ईसाई मिशनरियों और राज्य में कार्यरत संस्थानों और प्रतिष्ठानों का सर्वेक्षण करने के आदेश पर भी सवाल उठाया है। सरकार से सवाल पूछते हुए आर्कबिशप ने कहा कि जब सरकार के पास पहले से ही (जनगणना के माध्यम से) सभी प्रासंगिक डेटा उपलब्ध हैं, तो हमें एक और विधेयक की आवश्यकता क्यों है? इस मनमानी, भ्रामक और अतार्किक कदम के लिए केवल ईसाई समुदाय को ही लक्षित और चिह्नित क्यों किया जाता है? किस मकसद के तहत सरकार ऐसा कदम उठाने की सोच रही है?

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आर्कबिशप ने कहा, ‘धर्मांतरण विरोधी विधेयक कुछ तत्वों के लिए कानून अपने हाथ में लेने और अन्यथा शांतिपूर्ण राज्य में सांप्रदायिक अशांति के माहौल को खराब करने का एक उपकरण बन जाएगा।’ इससे पहले 26 अक्टूबर को, आर्कबिशप ने कहा था कि ईसाई समुदाय धर्मांतरण विरोधी विधेयक (एसीबी) को लागू करने के राज्य सरकार के कदम का विरोध करेगा और यह राज्य में धार्मिक सद्भाव को प्रभावित करेगा।

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