अजय कुमार
मांझागढ़ गोपालगंज ,नेपाल के बाल्मिकी नगर बराज से छोड़े जा रहे पानी से गंडक नदी में आई उफान से गंडक नदी के तराई क्षेत्र में बसे दर्जनो गांव और सारण तबन्ध के निचले भाग में बसे गांव में बाढ़ की पानी के तबाही मचाने से घर मे पानी घुसा हुआ जिससे घर के जलावन से लेकर खाने पीने तक सारे समान पानी मे डूब गए है ।सड़क पर पानी बह रहा है सड़क क्षति ग्रस्त हो गया लोगो को आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वही तेज धार में लोगो बहने या गिरने की डर बना हुआ है ।बताते चले कि भैषही पँचायत अंतर्गत मलाही टोला गांव के विचो विच से गंडक छड़की नदी गुजरती है । छड़की गंडक नदी और गंडक के विच तराई क्षेत्र निमोईया पंचायत है जिसके अंतर्गत निमोईया ,मुंगरहा,मंगल मोड़ ,ललन मोड़ ,बुझी रावत के टोला, जगदीश सहनी के टोला , मथुरा साह के टोला केरावनिया विशुनपुरा गौसिया पँचायत के गौसिया वृति टोला भैषही पँचायत के हरिहर राय के टोला सहित दर्जनों गांव चारो तरफ से बाढ़ के पानी से घिरा है वही सारण तबन्ध के निचले भाग में बसे ,मलाही टोला, भैषही दुसाद टोली ,हरिजन टोली बिनटोली सहित करीब आधा दर्जन गांव में बाढ़ की पानी से तबाही मचाया हुआ है ।लोगो को आने जाने के लिए कोई सरकारी व्यवस्था नही की गई है ।लोग निजी नाव से आ जा रहे है ।तराई क्षेत्र के लोग बाढ़ की पानी की सामना करते हुए छत और मचान पर कुछ लोग शरण लिए हुए है ।तो कुछ लोग अपने अपने रिस्तेदारी में शरण लिए हुए है । सारण तटबंध के निचले भाग में बसे लोग अपने मवेशी और घर के समान लेकर बांध पर मचान बनाकर तथा पोलेथिन तान कर रह रहे है एक माह के अंदर ये लोग तिश्रीबार बाढ़ की तबाही झेल रहे है ।परन्तु जिला प्रशासन के द्वारा इन बाढ़ पीडितो के लिए नही कोई सरकारी राहत दी गयी है नही भोजन कराने के लिए किचेन की व्यवस्था की गई है ।जिसके वजह से लोग त्राहिमाम जैसे समस्या की सामना कर रहे है। सबसे ज्यादा उन लोगो को परेशानी है जो गंडक के तराई क्षेत्र निमोईया ,मुंगरहा , मथुरा साह के टोला मंगल मोड़ ,ललन मोड़ जगदीस सहनी के टोला सहित बाढ़ के पानी से चारो तरफ से घिरे है इन गांव के कुछ लोग अपने अपने रिस्तेदारी में शरण लिए हुए है रात में रिस्तेदारी में रहते है तो दिन अपने घर की निगरानी करते है ।वही कुछ लोग बाढ़ में कुछ भी हो जाय परन्तु अपने घर को बचाये रखने के लिए पानी को ही घर मान कर पानी के विच मचान और छत पर रहते है ।इन लोग को सबसे ज्यादा परेशानी उस समय होती है जब किसी की तवियत खराब हो जाती है उस समय नाव के सहारे और कांध पर बिठा कर मरीज को इलाज कराने 5 से 6 किलो मीटर पानी का यात्रा करना पड़ता है । इस परिस्थिति में भी लोगो के सुबिधा के लिए नही मेडिकल टीम की व्यवस्था करना नही भोजन कराने के लिए किचेन की व्यवस्था करना नही लोगो के आने जाने के लिए नाव की व्यस्था करना ये बाढ़ पीड़ितो के साथ मजाक किया जा रहा है जिससे लोग आक्रोशित है ।ये बाते भैषही पँचायत के बाद पीड़ित सन्तु मांझी ,नथुनी बिन , कन्हैया बिन ,सन्तु बिन ,मेघनाथ राम , श्यामदेव राम , अलग राम ,मंटू राम , काशी राम , शुभम सिंह सहित सैकड़ों बाढ़ पीड़ित कहना है ।