लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का संकट बरकरार, पटना हाईकोर्ट की सुनवाई करेगी किस्मत का फैसला

पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। पार्टी और परिवार में अलग-थलग पड़े तेज प्रताप की विधायकी पर भी खतरा अब तक मंडरा रहा है। समस्तीपुर में हसनपुर से विधायक तेजप्रताप यादव के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई की। विजय कुमार यादव की चुनाव याचिका पर न्यायाधीश बीरेंद्र कुमार की अदालत ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की गवाही हुई। अब इस मामले में अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी।
तेज प्रताप यादव के हलफनामे में संपत्ति छिपाने का आरोप
तेजप्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता ने जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 का हवाला देते हुए तेजप्रताप यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देने के लिए चुनाव याचिका दायर किया है। मामला वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि तेजप्रताप यादव द्वारा हलफनामा में संपत्ति की जानकारी छुपाई गई। याचिकाकर्ता ने जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(2) के अनुसार इसे भ्रष्ट आचरण बताया है।

पार्टी और परिवार से भी नहीं मिल रहा सहयोग
तेज प्रताप यादव को उनके पिता की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में पूरी तरह साइड कर दिया गया है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय में उनके आने-जाने पर अघोषित बैन लग गया है। लालू परिवार का सदस्य होने के नाते पर उन पर कोई औपचारिक कार्रवाई तो नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के कार्यालय, झंडा, बैनर और नाम का इस्तेमाल वे अब नहीं कर पा रहे हैं। छोटे भाई तेजस्वी यादव के साथ तकरार में परिवार के बाकी सदस्यों से भी उनको अब सपोर्ट नहीं मिल रहा है। उनकी एक मात्र उम्मीद पिता लालू यादव के बिहार आगमन से थी, लेकिन राजद सुप्रीमो के पटना आने के बाद तो तेज प्रताप की गतिविधियां और भी सिमट कर रह गई हैं।