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चांद की सतह से टकराया एक रहस्यमय रॉकेट

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वॉशिंगटन । बीते चार मार्च को चांद की सतह से एक रहस्यमय रॉकेट टकराया था। इस टक्कर के कारण चांद की सतह पर एक डबल क्रेटर यानी दो गड्ढे बन गए हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों के सामने चांद से आई इस तस्वीर ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
स्पेस एजेंसी के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर ने चांद की सतह की तस्वीर खींची है, जिसमें हमें असामान्य क्रेटर दिखे हैं। ये क्रेटर अगल-बगल ही बने हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए रहस्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी चीज एक जगह गिरने से दो जगह गड्ढे नहीं बना सकती।रॉकेट की टक्कर से दो क्रेटर बने हैं। पूर्वी गड्ढा 18 मीटर और पश्चिमी गड्ढा 16 मीटर व्यास का है। इस्तेमाल हो चुके रॉकेट में आमतौर पर मोटर के अंत में सबसे ज्यादा द्रव्यमान होता है, क्योंकि बाकी रॉकेट सिर्फ एक खोखला ईंधन टैंक होता है। लेकिन डबल क्रेटर बताता है कि चंद्रमा से टकराने पर इस वस्तु के दोनों सिरों पर बड़ा द्रव्यमान था।चांद पर किसी भी रॉकेट के हिस्से के टकराने से आज तक डबल क्रेटर नहीं बने हैं। अपोलो 13, 14, 15 और 17 के रॉकेट सैटर्न के हिस्से जब चांद से टकराए थे तो 35-40 मीटर व्यास के गड्डे बने थे। रहस्यमय रॉकेट से डबल क्रेटर भी इन्हीं गड्ढों के पास बने हैं।
ये रॉकेट कहां से आया इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है, क्योंकि कोई भी एजेंसी अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक नहीं करती है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ये अंतरिक्ष कबाड़ का एक टुकड़ा है जो वर्षों से चांद का चक्कर काट रहा था।इंडिपेंडेट रिसर्चर बिल ग्रे ने सबसे पहले चांद के चारों ओर रॉकेट बूस्टर को घूमते देखा था। शुरुआत में उन्होंने कहा था कि ये स्पेस-एक्स फैलकन रॉकेट का बूस्टर है जिसे 2015 में लॉन्च किया गया था। बाद में उन्होंने कहा कि वह गलत हैं और ये रॉकेट 2014 में चीन के लूनर मिशन से जुड़ा हुआ है।  नासा ने भी इस पर सहमति जताई थी

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